Home State Delhi-NCR मोदी सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर क्यों नहीं बुलाती विशेष सत्र, पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का लेख
Delhi-NCR - Opinions - Politics - Schedules - Social - December 2, 2018

मोदी सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर क्यों नहीं बुलाती विशेष सत्र, पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का लेख

By: Urmilesh Singh

विमर्श। मेरा रिपोर्टर-मन नहीं माना! दो दिन से तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी, फिर भी पहुंच गया संसद मार्ग! किसानों से मिलने! पहले की कई किसान रैलियां हमने देखी हैं। कभी किसी दल के किसान-संगठन रैली निकालते थे या किसानों का कोई क्षेत्रीय संगठन हुक्का-पानी लेकर दिल्ली पर ‘धावा’ बोलता था! पर इस किसान मार्च में पूरे भारत के किसान थे! पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण, हर जगह के किसान अपने रंग-बिरंगे झंडों के साथ वहां मौजूद थे! इनमें पुरुष, युवा, अधेड़, बुजुर्ग, हर उम्र की किसान-महिला और उनके कुछ परिजन भी साथ में थे!
किसानों की बड़ी एकता का ही दबाव था कि सत्ताधारी भाजपा को छोड़कर देश की लगभग हर प्रमुख पार्टी ने अपने नुमाइंदे को रैली में जरुर भेजा!

रैली में आए आम किसान भी अपने बड़े नेताओं की तरह तर्कसंगत ढंग से बातें करते मिले! उनके पास सूचनाएं थीं, ठोस तथ्य थे, समझ और तर्क थे। महाराष्ट्र के एक साधारण किसान को यह बात मालूम थी कि किस तरह मौजूदा सरकार इन दिनों अफगानिस्तान से प्याज मंगा रही है। इससे अपने देश के प्याज उत्पादक किसान बेहाल हो गये! इससे उनके द्वारा उत्पादित प्याज की अपेक्षित कीमत नहीं मिल रही है!

किसानों के कर्ज-माफी की मांग को जायज बताते हुए वे मोदी सरकार के ‘कारपोरेट-कनेक्शन’, अदानी-अंबानी के तेज गति से बढ़ते व्यापार-साम्राज्य, अनेक बैंकों के एनपीए और नीरव-चोकसी-माल्या आदि मामलों पर सवाल उठाते हैं!

यूपी से आए एक किसान ने कहा: ‘कुछ अखबारों ने हमें ‘अन्नदाता’ कहकर रैली पर अच्छी रिपोर्ट दी है। हम इसके लिए उनके शुक्रगुजार हैं। पर उन्हें लोगों को बताना चाहिए कि हमारी हालत कितनी और क्यों खराब है! इसी वजह से आज भारत में कोई किसानी नहीं करना चाहता! आप देख लीजिए, नेता का बेटा-बेटी राजनीति में आने से संकोच नहीं करते, आईएएस अफसरों के बच्चे आमतौर पर हर कीमत पर आईएएस बनना चाहते हैं! पर किसान के बच्चे क्या किसान बनना चाहते हैं? बिल्कुल नहीं! इससे किसानों की हालत का अंदाजा लगा सकते हैं!’

सवाल उनका जायज है: मोदी सरकार अगर व्यापार और टैक्स आदि के मामलों को लेकर संसद का विशेष सत्र आयोजित कर सकती है तो अन्नदाताओं के मामलों पर विचार के लिए संसद-सत्र क्यों नहीं हो सकता?

By: Urmilesh Singh, Senior Journalist

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

बाबा साहेब को पढ़कर मिली प्रेरणा, और बन गईं पूजा आह्लयाण मिसेज हरियाणा

हांसी, हिसार: कोई पहाड़ कोई पर्वत अब आड़े आ सकता नहीं, घरेलू हिंसा हो या शोषण, अब रास्ता र…