बीजेपी नेताओं को फटकार लगाने के बाद जज मुरलीधर का तबादला
दिल्ली हिंसा मामले पर सुनवाई करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के जज एस मुरलीधर का तबादला कर दिया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मुहर लगते ही एस मुरलीधर के तबादले का नोटिफिकेशन जारी किया गया. यह जानकारी सामने आते ही बवाल शुरु हो गया है.
ट्रांसफर के बाद से ही कांग्रेस की ओर से लगातार कड़े सवाल उठाए जा रहे है कि अचानक एस मुरलीधर का तबादला आखिर कैसे हुआ. कांग्रेस का यह भी आरोप है कि बीजेपी के नेताओं को बचाने के लिए और हिंसा सिफारिश की तह तक ना जाने के लिए उनका ट्रांसफर किया जा रहा है.
रणदीप सुरजेवाला का भी कहना है कि कपिल मिश्रा और बीजेपी के नेताओं को बचाने के लिए यह सब दाव खेला जा रहा है लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह की सरकार अपने इस काले करतूत में कभी कामयाब नही होगी. सुरजेवाला ने आगे बताया कि 26 फरवरी को एस मुरलीधर ने दंगा भड़काने वालो के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए और इस कार्यवाही के कुछ घंटे बाद ही उनका तबादला कर दिया गया.
उन्होने आगे कहा कि उन्होंने सही न्यायपालिका के खिलाफ उनसे बदले की मंशा से यह सब किया है. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी के नेताओं पर आरोप भरे सवाल खड़े किए है कि बीजेपी को डर था कि कही उनके नेताओं का पर्दाफाश ना हो जाए, लेकिन और कितने इमानदार जजों का तबादला करेंगे. उन्होंने यह भी दावा किया है कि न्यायपालिका पर दबाव डालने का काम बीजेपी सरकार ने इससे पहले भी कई बार किया है. इसमें जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस गीता मित्तल शामिल है.
वहीं इस सियासी हंगामें के बीच इस मामले पर सफाई देते हुए कानून मंत्री रविशंकर ने कहा कि एस मुरलीधर के ट्रांसफर की सिफारिश 12 फरवरी को हाई कोर्ट के कोलेजियम ने की थी. इसके बाद पूरी कानूनी प्रक्रिया के जरिये यह आदेश जारी हुआ. जस्टिस एस मुरलीधर को दिल्ली हाई कोर्ट से तबादला कर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट भेजा रहा है.
जस्टिस एस मुरलीधर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में भी बतौर जज अपना पदभार संभालेंगे. वहीं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के जस्टिस लोया वाले ट्वीट पर रवीशंकर ने कहा कि जस्टिस लोया के केस को बेहद ही अच्छी रीति से सुलझा लिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि शायद सवाल उठाने वालो को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नही है और वह खुद को अदालत से उपर मानते है.
बता दें कि पिछले 15 साल में यह पहली बार उनका ट्रांसफर है. साथ ही दिल्ली हिंसा मामले पर जस्टिस एस मुरलीधर ने ही दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. भड़काउ बयान देने वाले कपिल मिश्रा और बाकी बीजेपी नेताओं पर केस दर्ज करने का आदेश जारी किया था. लेकिन उसके बाद ही 26 फरवरी को उनके तबादले का नोटिस आ गया. कोलेजियम का कहना है कि यह सिफारिश 12 फरवरी को ही कर दी गई थी.
लेकिन यह साफ तौर पर दिख रहा है कि जस्टिस मुरलीधर पर दबाव डाला गया है. अब सवाल यह खड़ा होता है कि क्या इमानदारी की कोई जगह नही है ? क्या हर इमानदार जज की इमानदारी के लिए उनका तबादला कर दिया जाएगा, आखिर कब तक ऐसा होता रहेगा.
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