मध्यप्रदेश : आदिवासियों ने भी जताया CAA, NRC और NPR का विरोध
CAA, NRC और NPR से देश में आक्रोश का माहौल बना हुआ है. देश के राज्यों से लोग आगे बढ़कर इन कानूनों के खिलाफ जमकर विरोध कर रहे है. ऐसा ही एक और मामला मध्यप्रदेश के कई जिलों से सामने आया है.
वहीं मध्यप्रदेश के हरदा, खंडवा, बैतूल और होशंगाबाद से एकजुट हुए आदिवासियों का कहना है कि यहां के जंगलों में हमारे पूर्वजों के अंश गड़े है. इससे बड़ा सबूत और क्या चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि कागज के नाम पर भले ही राजनिती का खेल खेला जा रहा हो लेकिन हमारा सबूत यही है कि यह जंगल हमारे पुरखों का है.
आदिवासियों का कहना है कि पहले सरकार जंगलों पर अधिकार साबित करने के लिए कागज के सबूत मांगती थी, फिर राशन, स्कूल और इलाज के लिए आधार कार्ड मांगे, हम सरकार को कागजों सहित सबूत दे देकर अपनी संस्कृति और जंगल सहित सबकुछ खो चुके है. उनका कहना है कि अब वे सभी सरकार के इस जाल में नही फसेंगे और इसका जमकर विरोध करेंगे.
बता दें कि रात भर की लंबी चर्चा के बाद आदिवासियों ने यह निर्णय लिया है कि जंगल में बसे तीर्थ स्थल और उनके राजाओं के किले ही उनके नागरिक होने के सबूत है. लेकिन आदिवासियों का कहना है कि वह सभी अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई भी कानूनी सबूत पेश नही करेंगे. साथ ही उनका कहना है कि जंगल में उनके देव स्थान और मुखियाओं के किले पर आकर सरकार खुद जिंदा सबूत देखे. इसके साथ ही आदिवासियों ने नारा दिया, ‘पुरखों से नाता जोड़ेंगे- जंगल-जमीन नहीं छोड़ेंगे. पुरखों से नाता जोड़ेंगे- कागज़ का मकड़जाल तोड़ेंगे.’यह नारे आदिवासियों ने सरकार के बेतुके सबूत मांगने के लिए दिए है. जिसका वे सभी जमकर विरोध कर रहे है.
गौरतलब है कि दिसंबर महीने में शुरु हुए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के बाद देश में मामला तूल पकड़ते नज़र आया. जिसके बाद माहौल बिगड़ता ही चला गया. केंद्र सरकार की ओर से भी प्रदर्शनकारियों से कोई सीधी बातचीत नही की गई. साथ ही पुलिस ने छात्रों को बड़ी ही बरहमी से पीटा. कई छात्रों को तो गंभीर हालत में तुरंत अस्पताल रेफर किया गया. लेकिन नागरिकता कानून को लेकर अब भी माहौल गर्माया हुआ है.
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