किसी भी देश में स्वास्थ्य का अधिकार जनता का सबसे पहला बुनियादी अधिकार होता है. लेकिन भारत में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में रोज़ाना हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. पृथ्वी पर हर एक इंसान का पेट भरने लायक पर्याप्त भोजन का उत्पादन हो रहा है. लेकिन फिर भी विश्व के कुछ हिस्सों में भुखमरी बढ़ती जा रही है और 82 करोड़ से ज़्यादा लोग “लगातार कुपोषण का शिकार” बने हुए हैं. दुनिया में हर इंसान को पर्याप्त भोजन मिले ये सुनिश्चित करने के लिए आख़िर क्या क़दम उठाए जा रहे हैं. 2019 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है.

जहां भुखमरी गंभीर स्तर पर है. सूची के अनुसार पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार इस मामले में भारत से बेहतर स्थिति में हैं. भारत के पड़ोसी देश भारत ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफ़ाइल NHP-2019 जारी किया और सकल घरेलू उत्पाद (2017-18 बजट अनुमान) के 1.28% पर स्वास्थ्य पर देश का सार्वजनिक व्यय वैश्विक स्तर पर सबसे कम बना हुआ है. जिससे यह एक उथल-पुथल की तरह प्रतीत होता है जीडीपी के 2.5% के लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने का काम सरकार का लक्ष्य है. विशेज्ञयों का कहना है कि ये नामुमकिन है. एनएचपी के 2016 के डेटा में 10 दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में से भारत 0.93% था जो केवल बांग्लादेश से केवल 0.42% ऊपर था। भारत के पड़ोसी देश, जैसे श्रीलंका (1.68%), इंडोनेशिया (1.40 %), नेपाल (1.17%) और म्यांमार (1.02%) स्वास्थ्य सेवाओं पर भारत की तुलना में कहीं अधिक खर्च कर रहे हैं, जिसका सार्वभौमिक स्वास्थ्य को प्राप्त करने के प्रयासों पर असर पड़ सकता है. ये देश स्वास्थ्य सेवाओं पर भारत की तुलना में कहीं अधिक खर्च कर रहे हैं, जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य को प्राप्त करने के अपने प्रयासों पर प्रभाव डाल सकता है. दिन भर पाकिस्तान चिल्लाने वाले चैनल ये आंकडे आपको कभी भी नहीं दिखा पाएंगे कि सूची के अनुसार पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार इस मामले में भारत से बेहतर स्थिति में हैं.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है. दक्षिण एशिया में भारत कुपोषण के मामले में सबसे बुरी हालत में है. देश के सामने गरीबी, कुपोषण और पर्यावरण में होने वाले बदलाव सबसे बड़ी चुनौती हैं. इससे निपटने के लिए हर स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है. भारत में भूख की समस्या चिंताजनक स्तर तक पहुंच गई है. एसीएफ की रिपोर्ट बताती है कि भारत में कुपोषण जितनी बड़ी समस्या है. वैसा पूरे दक्षिण एशिया में और कहीं देखने को नहीं मिला है. रिपोर्ट में लिखा गया है. भारत में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति और ग्रामीण समुदाय पर अत्यधिक कुपोषण का बोझ है. कुपोषण देश को दीमक की तरह खाए जा रहा रहा है. गरीबी और अशिक्षा के चलते ग्रामीण अंचलों में बच्चों की परवरिश ठीक ढंग से नहीं हो पाती जिससे बच्चे बीमारियों और कुपोषण की चपेट में आ जाते हैं. वैश्विक रिपोर्ट कहती है कि भारत की 68.5 फीसद आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में 22 करोड़ 46 लाख लोग कुपोषण का शिकार हैं.

एक तरफ देश में भुखमरी है तो एक तरफ राम की 447 करोड की प्रतिमा बन रही है 3000 करोड की तो पहले ही बन चुकी है और न जाने कितनी बनेंगी सबसे ज्यादा सरकार के गलत फैसलों में टीवी चैनल साथ दे रहे हैं. जो देश भारत से पीछे थे वो आज शक्षम हो रहे हैं और स्वास्त्थ समस्याओं पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे हैं और खर्च भी कर रहे हैं लेकिन हम भी पीछे नहीं है. भाई योगी ने दिए जलाने में पूरे 133 करोड खर्च कर दिए हैं हर साल सरकार की लापरवाही से लाखों टन अनाज बारिश की भेंट चढ़ रहा है. हर साल गेहूं सड़ने से करीब 450 करोड़ रूपए का नुकसान होता है. भूख के कारण कमजोरी के शिकार बच्चे बीमीरियों से ग्रस्त हैं.इ

सके अलावा करोड़ों बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है क्योंकि उन्हें अपने शुरुआती वर्षों में पूरा पोषण नहीं मिल पाता है और ये सब के पीछे सरकार जिम्मेदार है अभी मध्य प्रजदेश सरकार ने मिड डे मिल में बच्चों की शेहत अच्छी करने के लिए कहा कि हम बच्चों को अंडा खिलाएंगे जिसके उनको Protein मिल सके तो वहां बीजेपी के नेता ने कहा कि इससे हिंदू धर्म खतरे में पढ जाएगा अरे भाई कब तक ऐसा करोगे कभी तो कुछ अच्छा करो जिससे कि जनता आपको मन से वोट दे सके मानाकि आपके पास ईवीएम है लेकिन फिर भी कभी तो जनता के हित की भी सोच लो आज ऐसा दौर आ गया है. कि बीजेपी की टीशर्ट पहनकर के किसान आत्महत्या कर रहा है पिछले 5 6 सालों में जितनी हमारे देश के किसानों ने आत्महत्या की हैं शायद कोई और देश होता तो पतो नहीं वहां की जनता अबतक सरकार का वो हाल कर देती की मैं ब्यान भी नहीं कर सकता कुपोषण ने देश को एक सूखा कांटा बना दिया है और उसके लिए सबसे ज्यादा मोदी सराकर जिम्मेदार है.
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