पहला दक्षिण एशियाई सैटेलाइट 5 मई को लांच होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में घोषणा की कि भारत पांच मई को पहला दक्षिण एशियाई सैटेलाइट लॉन्च कर पड़ोसी देशों को ‘अमूल्य उपहार’ देगा। यह सैटेलाइट ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत पर चलते हुए तैयार किया गया है।याद रहे आठ देशों के संगठन सार्क में शामिल पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट से दूर रहा, क्योंकि उसे भारत का उपहार मंजूर नहीं है।
पीएम मोदी ने कहा कि पड़ोसी देशों के बीच सहयोग होना चाहिए और उनका भी विकास होना चाहिए। इसी इरादे से यह सैटेलाइट लॉन्च किया जा रहा है। इससे उनकी विकास जरूरतों की पूर्ति हो सकेगी। समूचे दक्षिण एशिया में सहयोग बढ़ाने की यह उल्लेखनीय पहल है।
इससे जुडे देशों के प्राकृतिक संसाधनों की मैपिंग होगी।
-टेली मेडिसिन, शिक्षा में सहयोग बढ़ेगा।
-भूकंप, चक्रवात, बाढ़, सुनामी की दशा में संवाद-लिंक का माध्यम बनेगा।
-यह संबद्ध देशों की डीटीएच, वीसैट क्षमता में भी इजाफा करेगा।
आरंभिक रूप से सैटेलाइट प्रक्षेपण की योजना का नाम ‘सार्क सैटेलाइट’ रखा गया था, लेकिन पाकिस्तान ने इस परियोजना में शामिल होने से इनकार कर दिया, इसलिए इसका नाम दक्षिण एशियाई सैटेलाइट किया गया।
यह सैटेलाइट भारत की अद्भुत अंतरिक्ष कूटनीति माना जा रहा है। इस योजना में किसी अन्य पड़ोसी देश का कोई भी खर्चा नहीं होगा। इससे अंतरिक्ष में ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा गूंजेगा।
-पांच मई को बंगाल की खाड़ी के तट पर श्रीहरिकोटा से इसरो करेगा प्रक्षेपण।
-2230 किलो के इस उपग्रह को तीन साल में बनाया गया।
-235 करोड़ में बना यह उपग्रह पूरी तरह संचार उपग्रह है।
-यह अंतरिक्ष आधारित टेक्नोलॉजी के बेहतर इस्तेमाल में मदद करेगा।
-इसमें भागीदार देशों के बीच हॉटलाइन उपलब्ध करवाने की भी क्षमता है।
-यह पिछले साल दिसंबर में लॉन्च होना था, लेकिन चार माह लेट हो गया।
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