20 लाख करोड़: PM मोदी का पकड़ा गया बड़ा झूठ !
कल प्रधानमंत्री मोदी ने रात आठ बजे देश को संबोधित किया और साथ ही उन्होंने लॉकडाउन का चौथा चरण, यानि लॉकडाउन 4, का संकेत भी दिये. साथ ही उन्होंने कहा कि लॉकडाउन 4 पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा, नए नियमों वाला होग. राज्यों से हमें जो सुझाव मिल रहे हैं, उनके आधार पर लॉकडाउन 4 से जुड़ी जानकारी भी आपको 18 मई से पहले दी जाएगी.
साथ ही उन्होंने 20 लाख करोड़ रूपये के एलान किए है. ये पैकेज भारत की GDP का करीब-करीब 10 प्रतिशत है.इस पैकेज में Land,Labour,Liquidity और Laws,सभी पर बल दिया गया है.
ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे MSME के लिए है, एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था.
आज स्थिति ये है कि भारत में हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं. और लेकिन थकना,हारना,टूटना-बिखरना,मानव को मंजूर नहीं है. मैं आज आपलोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या लगता है 20 लाख करोड़ के पैकेज से भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा.
बिल्कुल नहीं होगा. मैं तो यही कहूंगा कि ये उंट के मुंह में जीरे के फॉरेन के बराबर है. क्या भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केवल पैकेज पर्याप्त है? या उचित शिक्षा और गाइडलाइन की भी आवश्यकता है.
क्योंकि कई लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे है कि मैं ऐसे भारत का ख्वाब देखता हूं जहां उचित स्वास्थ्य और शिक्षा खासकर मजदूर और किसानों को उनके राज्य में ही मिले तब हम एक आत्मनिर्भर भारत की कल्पना कर सकते हैं.
जैसे ही प्रधानमंत्री का संबोधन खत्म हुआ लोग तरह तरह से सोशल मीडिया पर लिखने लगे. एक यूजर लिखते है कि आईटी सेल वालों की आज नाइट शिफ़्ट लगी होगी. ये जो तुम लोग प्रधान सेवक जी से नाराज़ हो होकर स्टेटस डाल रहे हो न आज? बोर कर दिया.
पका दिया. इनकी ज़िंदगी बहुत कम है मेरे लाल. कल सुबह से आईटी सेल वाले मीम्स का ऐसा सैलाब आएगा, तुम्हारे सब रोतड़े स्टेटस बहा ले जाएगा. देखते जाओ. जब वो कम मेहनत करते हैं, तब उनके आईटी सेल वाले गुर्गे नाइट शिफ़्टें करके सब तर्क-वितर्क की ऐसी कम तैसी कर देते हैं. बस आज रात की थोड़ी मुसीबत है.
झेल लो. कल सुबह हम फिर से महान होने वाले हैं. कोरोना Lockdown के दरम्यान मजदूर क्यों अपने पैतृक-घरों या गांवों की तरफ कूच करने को मजबूर हुए या कि अब भी उनका बड़ा हिस्सा जाने का इंतजार कर रहा है?
दुनिया के दूसरे देशों, यहां तक कि अनेक विकासशील देशों में भी ऐसा दृश्य क्यों नहीं देखा गया? सत्ता, मीडिया और शहरी मध्यवर्ग क्या इसका असल कारण जानता है. लिहाजा कोरोना के संकटकाल में रिजर्व बैंक भी सरकार की मदद करेगा. दरअसल, बीते दिनों न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से दावा किया था कि केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से 45 हजार करोड़ की मदद मांगने की तैयारी कर ली है.
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए ये कदम उठाने वाली है.आपको बता दें कि आरबीआई मोटे तौर पर करेंसी और सरकारी बॉन्ड की ट्रेडिंग से मुनाफा कमाता है. इन कमाई का एक हिस्सा आरबीआई अपने परिचालन और इमरजेंसी फंड के तौर पर रखता है. इसके बाद बची हुई रकम डिविडेंड के तौर पर सरकार के पास जाती है.लेकिन कल प्रधानमंत्री इतने गाल बजा रहे थे.
जैसे भारत कितना अपने आत्मनिर्भर हो गया है. खैर,आगे बढ़ते है. वहीं नूरी खान जो मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता है उन्होंने भी अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखते हुए कहते है कि मुझे इस वक़्त इस तरह की भाषननुमा बातों का औचित्य समझ नही आया सुन नही पाई सो गई थी कुछ खास हो तो बता देना.
मज़दूरों का दर्द देखा नही जा रहा साहब 2 महीने पहले ही घर भिजवाना था. बिजली का बिल बैंक की किश्ते स्कूल फीस और बगैर कमाए राशन कैसे भरेंगे जाते जाते ये बताया हो तो मुझे भी बता देना कोई.
वो टूटी हुई चूड़ियां वो बिखरी हुई रोटियां वो पटरियों पर घर जाने की उम्मीद में जिस्मो की बिखरी हुई आस मुझे रुलाती है आपके कोरे भाषण सुन के एक बार फिर आज. #कोईउम्मीदभरनहींआती. ये सच्चाई भी है. अब आपको तोड़ा फेशबैक लिए चलते है.
प्रधानमंत्री का जुमला लंबी लंबी बाते. जब युवाओं को हर साल 2 करोड़ युवा को रोजगार देने की बात कही थी. और हर किसी के जनधन काते में 15 -15 लाख रूपये बी देने की एलान किये थे. लेकिन ये सारे वादे और दावे सब खोखला साबीत हुआ.
अब आपको एक कड़वी सच्चाई बतात हूं. एक और पेसबुक यूजर जिनका नाम है अवीनाश भारत है उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए लिखते है कि सरकार ने 20 लाख कारोड मे से पिछले दिनों जनता को 7.79 लाख कारोड दे दिया है, 12.21 लाख कारोड ही और देगी.
अब 7.79 लाख करोड़ में आपको कितना मिला है या गांव समाज में किसे कितना मिला है एक बार पता कर लीजिये. बाकि 12.21 लाख करोड़ का भी वही हाल होगा.भोजपूरी का एक कहावत है- गाछे कटहल ओठे तेल, बीच में प्लान कहीं हो गइल फेल. बहरहाल लेकिन अब सवाल उठना लाजमी है कि क्या इस पैसे का पैकेज का एलान कर उन गरिबों मजदूरों तक कितना पहुंच पाता है वो आने वाला वक्त बताएगा.
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