बाबा साहेब डॉ.अम्बेडकर और यूनियनिस्ट पार्टी !
By- Manoj Duhan
मैंने अपनी इस पोस्ट में जो फोटो सलंग्न किया है, इस फोटो को देखकर मूलनिवासी भाई अत्यंत गर्व महसूस करते हैं और यदा कदा इसको सोशल मीडिया पर शेयर भी करते रहते हैं। लेकिन, इसमें वे यह नहीं जानते कि डॉ.अम्बेडकर जी के साथ जो शख्शियत है, वह कौन है ? आज मैं आपको इस अज़ीम शख्शियत के बारे में बताऊंगा।
यह महान शख्शियत जो डॉ. अम्बेडकर के साथ नजर आ रही है, चौधरी ज़फरुल्लाह खान साहब हैं, जिनका जन्म 6 फरवरी 1893 को सियालकोट, पंजाब (पाकिस्तान) में मुस्लिम जाट परिवार में हुआ था । चौधरी साब ने लाहौर से बी.ए. और लंदन से बैरिस्टर एट लॉ की पढ़ाई की थी। चौधरी साब की शादी मेरे ही जिले रोहतक के कलानौर के चौधरी शमशाद अली खान राजपूत, जोकि कमिशनर थे, की लड़की बदर बेगम के साथ हुई थी।
चौधरी ज़फरुल्लाह साब यूनियनिस्ट पार्टी में थे तथा सर फ़ज़ल ए हुसैन साहब के सबसे नजदीकी आदमी थे। सर फ़ज़ल ए हुसैन के बारे में तो आप जानते ही होंगे कि आप यूनियनिस्ट पार्टी के सह संस्थापक थे, जिन्होंने 1923 में सर छोटूराम जी के साथ मिलकर यूनियनिस्ट पार्टी का गठन किया था । सर फ़ज़ल ए हुसैन साहब ने ही चौधरी ज़फरुल्लाह खान साहब को लंदन के गोलमेज सम्मेलनों में भेजा था और उनको विशेषकर यह समझाकर भेजा था कि इन सम्मेलनों में आपको डॉ. अम्बेडकर को सपोर्ट करना है तथा उनका सपोर्ट लेना है।
यह फोटो लंदन में सम्पन्न हुई तीसरी राउंड टेबल कांफ्रेंस 1932 की है। इस तीसरे गोलमेज सम्मेलन में वाइट पेपर प्रकाशित हुआ था, जिसके आधार पर Government of India Act, 1935 बना था, जिसके तहत 1937 में हुए प्रादेशिक चुनावों में पंजाब में पूर्ण बहुमत से यूनियनिस्ट पार्टी की सरकार बनी थी और सर सिकन्दर हयात खान ,पंजाब के प्राइम मिनिस्टर बने थे । अतः यूनियनिस्ट पार्टी उस जमाने में डॉ. अम्बेडकर के और मूलनिवासी बहुजनों के साथ खड़ी थी।
मेरे पास एक चिट्ठी है, जिसको 13 अगस्त 1935 को Hotel Ritz, Paris से सर आगा खान ने सर फ़ज़ल ए हुसैन के नाम लिखा था, जिसमें आपने लिखा था कि ” We must open our arms as wide as possible to adopt members of the depressed classes.” अर्थात हमें दलित समाज के लोगों को गले लगाने का हर संभव प्रयास करना चाहिये। नतीजन यूनियनिस्ट पार्टी की सोच दलित-पिछड़ों को आगे बढ़ाने की सोच थी।
1947 में बंटवारे के बाद चौधरी ज़फरुल्लाह साहब पाकिस्तान के पहले विदेश मंत्री भी बने थे। मुझे इस बात का भी फ़ख़्र है कि चौधरी ज़फरुल्लाह खान साहब के पोते Babar Nasrullah Khan साहब, जो आजकल कनाडा के नागरिक हैं, मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं अथवा बड़े भाई की तरह हैं। ये आज भी यही कहते हैं कि जब तक यूनियनिस्ट पार्टी की विचारधारा अनुसार जाट-मुस्लिम-दलित की एकता नहीं होगी, तब तक उद्धार नहीं हो सकता।
मनोज दूहन यूनियनिस्ट मिशन हरियाणा
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