आखिर कौन है बहुजन छात्रा अनीता की मौत का जिम्मेदार ?
चेन्नई। मेडिकल की पढ़ाई करके डॉक्टर बनने का सपना देखकर रही एक दलित छात्रा ने एडमिशन नहीं मिलने की वजह से आत्महत्या कर ली। दरसअल छात्रा एस अनीता एडमिशन के लिए जरुरी NEET यानी की नेशनल एलजिविलिटी एंट्रेस टेस्ट परीक्षा का विरोध कर रही थी.
आपको बता दें कि 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को कहा कि मेडिकल में एडमिशन के लिए सभी राज्यों को नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट का पालन करने के आदेश दिए थे। इसके बाद केन्द्र ने भी कहा था कि इस मामले में तमिलनाडु को छूट नहीं जा सकती है।
दलित छात्रा एस अनीता ने नरेन्द्र मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध किया था और अदालत में इसे चुनौती दी थी। नीट ने एआईपीएमटी (All India Pre-Medical Test) या राज्य के मेडिकल कॉलेजों द्वारा कराई जाने वाली परीक्षा की जगह ली है। हालांकि, कई कॉलेज और संस्थानों ने आदेश पर अदालत से स्टे लिया हुआ है और निजी तौर पर एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में दाखिले के लिए परीक्षा करा रहे हैं।
14 अगस्त को तमिलनाडु सरकार ने राज्य के सरकारी कॉलेजों में दाखिले के लिए NEET परीक्षा से छात्रों को छूट देने के लिए प्रस्तावित अध्यादेश का प्रारुप सोमवार को केंद्र सरकार को सौंपा था। इससे पहले केन्द्र सरकार ने तमिलनाडु को इस बावत राहत देने की बात कही थी।
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार इस तरह के अनुरोध पर सिर्फ एक साल के लिए विचार कर सकती है। लेकिन बाद में केन्द्र अपने इस बयान से पीछे हट गई।
अनीता ने बारहवीं में 1200 में से 1176 अंक हासिल किये थे। उसने इंजीनियरिंग के लिए कट ऑफ मार्क्स के 199.75 और मेडिकल के लिए कट ऑफ मार्क्स के 196.75 अंक हासिल किये थे। उसे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी ने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग ने अपने यहां एक सीट भी ऑफर किया था, लेकिन अनीता डॉक्टर बनना चाहती थी इसलिए उसने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।
हालांकि एस अनीता जब नीट की परीक्षा देने गई तो उसमें सफल नहीं हो सकी। NEET परीक्षा सभी तरह की मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए अनिवार्य है। नीट परीक्षा का सिलेबस सीबीएसई पर आधारित है।
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