आज कोई राजनीति नहीं, एक प्रेम कथा! : दिलीप मंडल
नई दिल्ली। यह 1980 की बात है। दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर एक लड़की उतरती है। दिल्ली एयरपोर्ट पर एक लड़का।
आज उन दोनों की प्रेम कहानी पढ़िए। लड़की तमिलनाडु से आई है। आँखों में तमाम सुंदर सपने। सरकारी कर्मचारी की बेटी है। बीए पास किया है। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इकॉनोमिक्स में एडमिशन मिला है।
लड़का आँध्र प्रदेश का है। माँ कांग्रेस की एमएलए हैं। पिता कांग्रेस सरकार में मंत्री। उसे भी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इकॉनोमिक्स में एडमिशन मिला है। दोनों एडमिशन लेते हैं। दोनों को जल्दी ही लगने लगता है कि शादी की जा सकती है। लड़की तमिल आयंगार ब्राह्मण है। लड़का तेलुगु माध्वा ब्राह्मण। जोड़ी जम जाती है। दोनों छात्र राजनीति में सक्रिय होते हैं। दोनों फ़्री थिंकर्स नाम के संगठन से जुड़ते हैं। ये संगठन बेहद मॉडर्न विचारों का है। दोनों का एमए कंप्लीट होता है। सजातीय होने के कारण शादी में दिक़्क़त नहीं आती। इसी हिसाब से ईश्वर ने दोनों की जोड़ी बनाई थी।
लड़का पढ़ने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स चला जाता है। बहू साथ जाती है। लड़का पीएचडी करता है। लड़की लौटकर जेएनयू में पीएचडी थिसिस जमा करती है। 1991 में लड़की गर्भवती होती है। परंपरा के मुताबिक़ डिलीवरी का ज़िम्मा लड़की वाले उठाते है। एक बच्ची का जन्म होता है। 2006 में पति और पत्नी पॉलिटिक्स करने का फ़ैसला करते है। पति फेल हो जाता है। पत्नी पास। 1980 में जो लड़की दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरी थी, वह आज देश की रक्षा मंत्री है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और बहुजन चिंतक हैं।)
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