इन जगाहों पर हुए एक महीने के भीतर 4 बड़े रेल हादसे ?
सबसे महफूज माना जाने वाला सफर इन दिनों खतरों के साए में है, कब कहां कौन सी ट्रेन बेपटरी हो जाए, कब मौत दस्तक दे दे, कब जिंदगी पर विराम लग जाए, यह शायद किसी को मालूम नहीं है, क्योंकि भारतीय रेलवे व्यवस्था इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. जहां एक के बाद एक रेल हादसों ने यात्रियों के अंदर खौफ पैदा कर दिया है।
मोदी सरकार मेट्रो और बुलेट ट्रेन का सपना दिखाकर लोगों का विश्वास जीतने की तो कोशिश कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर क्या हालात है इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं है। एक महीने में 4 बड़े रेल हादसों ने पूरे सिस्टम और सरकार पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. बीती रात यूपी के सोनभद्र में शक्तिपुंज एक्सप्रेस के 7 डिब्बे पटरी से उतर गए. ट्रेन हावड़ा से जबलपुर जा रही थी। जिसमें में कुल 21 डिब्बे थे. हालांकि हादसे में हताहत होने की खबर नहीं है।
19 अगस्त को मुजफ्फरनगर में हुआ हादसा
यूपी के ही मुजफ्फरनगर में 19 अगस्त को पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन खतौली स्टेशन के पास पटरी से उतर गई थी, ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतरकर अगल-बगल के घरों और स्कूल में घुस गए थे, इस दर्दनाक हादसे ने 23 लोगों की जान ले ली थी।
23 अगस्त को औरेया हुआ हादसे का शिकार
मुजफ्फरनगर रेल हादसे होने के 5 दिन के अंदर ही आजमगढ़ से दिल्ली आ रही कैफियत एक्रसप्रेस फाटक पर एक डंपर से टकरा गई, हादसे में इंजन सहित ट्रेन के 10 डिब्बे पटरी से उतर गए थे, हलांकि हादसे में किसी की मौत होने की खबर नहीं आई थी।
29 अगस्त को महारास्ट्र में हुआ रेल हादसा
6 दिन बाद ही महाराष्ट्र के टिटवाला में रेलवे हादसा हुआ, जहां नागपुर से मुंबई जा रही दुरंतो एक्सप्रेस का इंजन और नौ डिब्बे पटरी से उतर गए थे, हादसा के दौरान अधिकारी यात्री सो रहे थे, इस हादसे के पीछे भूस्खलन को जिम्मेदार बताया जा रहा था।
एक महीने के भीतर हुए चार बड़े रेल हादसों ने रेलवे विभाग और मोदी सरकार के बेहतर व्यवस्था के दावों की पोल खोल दी है. हादसों को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने रेल मंत्री तो बदल दिया लेकिन क्या जमीनी हालातों में कुछ परिवर्तन आएगा, या फिर यूं ही एक के बाद एक रेल हादसा होता रहेगा।
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Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…