एक तरफ बच्चे तड़प-तड़प कर मर रहे थे, दूसरी तरफ डॉक्टर कफील ने बचाने की कसम खा ली थी !
By Sayed Shaad
गोरखपुर। जिस गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इतना बड़ा हादसा हुआ है, वहां तीन दिन पहले ही यानी 9 अगस्त को सीएम योगी पहुंचे थे. अस्पताल में योगी इंसेफलाइटिस से पीड़ित कुछ बच्चों से मिले भी थे. इनमें से शायद अब कुछ जिंदा नहीं हैं. बड़ा सवाल है कि क्या अस्पताल प्रशासन ने सीएम योगी को अस्पताल में ऑक्सीजन की हालत की जानकारी दी थी? क्या सीएम योगी को बताया गया था कि 63 लाख रुपए के बकाए के भुगतान ना होने के कारण कंपनी ने ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दी है? लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. नतीजा सबके सामने है.
बहरहाल इस पूरे घटनाक्रम में एक डॉक्टर की सबसे ज्यादा तारीफ की जा रही है. और वो हैं डॉक्टर कफील. बताया जा रहा है करीब एक दर्जन जूनियर डॉक्टरों के साथ वार्ड नंबर100 के प्रभारी डॉक्टर कफील इस संकट की घड़ी में बदहवास जूझते रहे. ऑक्सीजन संकट के बीच मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर जब खूब दौड़भाग कर रहे थे तब गुरूवार रात के दो बज रहे थे. वार्ड नंबर 100 के प्रभारी डॉक्टर कफ़ील को जानकारी मिली कि अगले एक घंटे बाद ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी. ये सुनते ही डॉक्टर कफील की नींद उड़ गई. वह फौरन अपनी कार से मदद मांगने अपने मित्र डॉक्टर के अस्पताल पहुंच गए और वहां से ऑक्सीजन के तीन जंबों सिलेंडर लेकर रात के करीब तीन बजे सीधे बीआरडी अस्पताल पहुंचे. महज तीन सिलेंडर कितनी देर चलता, सुबह होते-होते ऑक्सीजन फिर से खत्म होने लगा.
सुबह साढ़े सात बजे जब पूरी तरह ऑक्सीजन खत्म हो गया. ऑक्सीजन खत्म होते ही वार्ड में हालात बेकाबू होने लगे. चारों ओर हाहाकार मच गया. ऑक्सीजन खत्म होते ही बच्चों की सांसें थमने लगी. बच्चे तड़प रहे थे. वार्ड में हर तरफ अफरा-तफरी मची थी. तब डॉक्टर कफ़ील खुद अपनी कार लेकर निकल पड़े प्राइवेट अस्पतालों में अपने डॉक्टर दोस्तों से मदद मांगने. फिर डॉक्टर कफ़ील अपनी गाड़ी में करीब एक दर्जन ऑक्सीजन सिलेंडरों का इतंजाम कर अस्पताल वापस पहुंचे.
डॉक्टर कफील समझ चुके थे कि ऑक्सीजन सिलेंडर के बिना बच्चों को बचा पाना बहुत मुश्किल होगा. डॉक्टर कफील ने शहर के आधा दर्जन ऑक्सीजन सप्लायरों को फोन लगाया. तब एक सप्लायर ने नकद भुगतान करने पर सिलेंडर रिफिल करने को तैयार हो गया. डॉक्टर कफील ने तुरंत एक कर्मचारी को अपना एटीएम कार्ड देकर रूपये निकालने भेजा और ऑक्सीजन का इतंजाम किया. इसके साथ ही डॉक्टर कफील ने फैजाबाद से आए ऑक्सीजन सिलेंडरों के ट्रक ड्राइवर को भी डीजल और दूसरे खर्चो की रकम अपनी जेब से अदा कर भेजा.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल अपने फेसबुक पेज पर लिखते हैं जब योगी गोरखपुर में बच्चों को मार रहे थे तो डॉक्टर कफ़ील अपने ATM से ख़र्चा करके बच्चों के लिए ऑक्सीजन ख़रीद रहे थे।
योगी ने नहीं देखा कि जिनको वे मार रहे हैं वे हिंदू हैं कि मुसलमान।
डॉक्टर कफ़ील ने भी नहीं देखा कि जिनको वे बचा रहे हैं वे हिंदू हैं कि मुसलमान।
शुक्रिया डॉक्टर कफ़ील।
जब इस दौर का इतिहास लिखा जाएगा तो आपका नाम सोने के अक्षरों में लिखा जाएगा।
योगी-मोदी का नाम कूड़ेदान में होगा।
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