क्या भारत में पूजा-पाठ कराना किसी ख़ास जाति की बपौती है ?
तिरुवनन्तपुरम। बीजेपी सांसद सुरेश गोपी अगले जन्म में फिर ब्राह्मण पैदा होना चाहते हैं ताकि वो सबरीमाला मंदिर में पुजारी बन सकें. बीजेपी सांसद सुरेश गोपी की बात से यह तो बिलकुल साफ हो गया है कि मंदिर में पुजारी बनने के लिए आपका ब्राह्मण जाति में पैदा होना ही होगा. इसे आप पुजारी बनने की योग्यता की तरह से देख सकते हैं. आपका को ये बातें मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि बीजू नारायणन जो एससी कैटेगरी यानि दलित समुदाय से आते हैं. उनकी गलती ही आप कहिए वो एससी कैटेगरी के होकर मंदिर में पुजारी बन गए. अब दलित होकर मंदिर में पुजारी बनना वो भी भारत में नामुमकिन ही समझिए. जिस देश में सुरेश गोपी जैसे लोग मंदिर में पुजारी बनने के लिए ब्राह्मण जाति में पैदा होना चाहते हैं वहां कोई ओबीसी, एससी या फिर एसटी के लिए मंदिर में पुजारी बनना तो दूर की कौड़ी है. जी हां भारत में जाति व्यवस्था ने कुछ इसी तरह का सामाजिक ताना-बाना बुना है.
बहरहाल अब आते हैं मुद्दे की बात पर इस नामुमकिन को मुमकिन किया बीजू नारायणन ने. बीजू को देश का पहला दलित पुजारी बताया जाता है. बता दें कि बीजू को इस बात की बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है. बीजू पर एक साल में दो बार जानलेवा हमला हो चुका है. बीते दिन भी उनपर जानलेवा हमला हुआ है. बीजू नारायणन पर कुछ अज्ञात लोगों ने घर में घुसकर उनपर हमला कर दिया जिसमें वो बुरी तरह से घायल हो गए. फिलहाल बीजू अस्पताल में भर्ती हैं. उन्हें गंभीर चोटें आई हैं.
बीजू पर इससे पहले इसी साल जून के महीने में हमला हुआ था. बीजू पर एसिड फेंका गया था. वो तब मंदिर जा रहे थे. बीजू वैदिक क्लास चलाते हैं, जिसमें वो बच्चों को वेद पढ़ाते हैं. बीजू को क्लास बंद करने के लिए कई बार धमकाया भी जा चुका था. वहीं बीजू को कुछ दिन पहले भी धमकी मिली थी. बीजू एक महायज्ञ की तैयारी कर रहे थे. दलित पुजारियों के साथ महायज्ञ. ये बात शायद कुछ लोगों को नागवार गुजरी. क्योंक.
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