गोरखपुर: 6 दिन में 63 बच्चों की मौत, ऑक्सिजन की कमी को लेकर दो बार की थी शिकायत
गोरखपुर। यूपी में बेहतरीन सिस्टम करने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ के दावे और वादे बहुत याद आ रहे हैं, सीएम योगी ने प्रशासनिक अधिकारियों को सही से काम करने के आदेश भी दिए लेकिन अधिकारियों की कार्यप्रणाली में कतई भी बदलाव नहीं आया।
गोरखपुर, जो कि सीएम योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद भी है, जहां से सीएम योगी खुद 5 बार सांसद रह चुके हैं, जिस वक्त योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बैठे, गोरखपुर के वशिंदो को लगा कि अब सिस्टम सुधर जाएगा, सरकारी सेवाएं भी दुरुस्त हो जाएंगी, लेकिन अफसोस यह सब एक ख्वाब बनकर ही रह गया।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अॉक्सीजन नहीं होने के चलते एक एक कर 33 मासूमों ने अस्पताल के अंदर ही दम तोड़ दिया. मरने वालों में 13 बच्चे एनएनयू वार्ड में भर्ती थे और 17 इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती थे.
बताया जा रहा है कि 69 लाख रुपये का भुगतान न होने की वजह से ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई गुरुवार की रात से ठप कर दी थी.
खबरों के मुताबिक गोरखपुर में सरकारी बीआरडी हास्पिटल में बीते 6 दिन में 63 बच्चों की दर्दनाक मौत से गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता यूपी के शासन औऱ प्रशासन को कोस रही है।
दरअसल अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन तो गुरुवार से ही बंद थी और शुक्रवार को सारे सिलेंडर भी खत्म हो गए. इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरीजों ने दो घंटे तक अम्बू बैग का सहारा लिया. हॉस्पिटल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही के चलते 30 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.
ऑक्सीजन की आपूर्ति से निपटने के विभाग ने अधिकारियों को 3 और 10 अगस्त को कमी के बारे में सूचित किया था. पुष्पा सेल ने भुगतान नहीं होने पर आपूर्ति को बंद कर दिया था.
मामले को तूल पकड़ने के बाद सरकार की ओर से इस मामले पर सफाई आई है. जारी बयान में कहा गया है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी रोगी की मौत नहीं हुई है. मेडिकल कॉलेज में भर्ती 7 मरीजों की विभिन्न चिकित्सीय कारणों से 11 अगस्त को मृत्यु हुई. घटना की मजिस्ट्रेटियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं. वहीं डीएम ने 5 सदस्यीय टीम गठित की है जो कि आज अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
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