‘गौरी लंकेश को दफ़नाने का दृश्य देखकर पगला गए हैं ब्राह्मणवादी’
मूर्खता का अतिवाद देखना है तो उत्तर भारतीय ब्राह्मण पुरुषों को देखिए। कल जब से उन्होंने गौरी लंकेश को दफ़नाने का दृश्य टीवी पर देख लिया है, पगला गए हैं। सूँघने की कोशिश कर रहे हैं कि गौरी लंकेश का धर्म क्या है?
हे मूर्खों, गौरी लंकेश लिंगायत हैं। लिंगायत धर्म में मृतकों को दफ़नाते हैं। वे इसे मनुष्य का प्रकृति के साथ एकाकार हो जाना मानते हैं। कर्नाटक और उससे सटे महाराष्ट्र के इलाक़ों का बच्चा भी लिंगायतों का यह विधान यह जानता है।
भारत की जनगणना में लिंगायत को हिंदू धर्म की एक जाति के तौर पर गिना जाता है। लिंगायत चाहते हैं कि उनका धर्म अलग से गिना जाए। गौरी लंकेश ने भी इसके समर्थन में लेख लिखा है। कलबुर्गी भी लिंगायत थे। मारे गए।
12वीं सदी में ब्राह्मण धर्म वालों ने लाखों की संख्या में लिंगायतों को मारा।
दरअसल, लिंगायत धर्म के संस्थापक वसवन्ना ने एक ब्राह्मण लड़की की चमड़े का काम करने वाले लड़के से शादी करा दी थी। उसके बाद हिंसा भड़क उठी।
लिंगायत ब्राह्मण को नहीं मानते। उनसे पूजा नहीं कराते। उनके मंदिर नहीं हैं। वे जाति नहीं मानते। हालाँकि उनमें भी ब्राह्मणवाद का प्रदूषण आया है।
वे एकेश्वरवादी हैं।
गिरीश कर्नाड का नाटक रक्त कल्याण लिंगायतों की हत्या के बारे में ही है।
-वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल की फेसबुक वॉल से
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