जानें केरल हाई कोर्ट ने हादिया की शादी को क्यों कर दिया रद्द?
नई दिल्ली। शफी और हादिया की शादी को केरल हाई कोर्ट ने ‘लव जिहाद’ का नाम देकर अवैध करार दे दिया था. इसके बाद जब इंसाफ की गुहार सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई तो कोर्ट ने कथित लव जिहाद की जांच के आदेश दे दिए और मामला राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी यानि एनआईए को सौंप दिया.
हादिया पिछले छह महीनों से अपने माता-पिता के घर में कैद है. जबकि वह अपने पति शफी जहां के साथ रहना चाहती है, लेकिन मर्ज़ी के अधिकार को छीन लिया गया है और उसकी आवाज़ को बदाने की कोशिश की जा रही है. ग़ौरतलब है कि हिंदू परिवार में जन्मीं हादिया का नाम अखिला अशोकन था. हादिया फीज़ियोथेरेपी की छात्रा रही हैं. हादिया ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर इस्लाम धर्म को अपना लिया. जिसके बाद हादिया के परिवारवालों ने धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया लेकिन अदालत ने उस वक्त हैबस कोर्पस की दो याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि उसे धर्म परिवर्तन का अधिकार है. हादिया ने ब्यान दिया है कि वो मर जायेगी लेकिन इस्लाम का दामन नही छोड़ेगी.
हालांकि, ये चीज़ें तब बदल गईं जब उसने शफी जहां से शादी कर ली. केरल हाई कोर्ट ने उसकी शादी को रद्द कर दिया और हादिया को उसके माता-पिता के पास रखने का आदेश दिया था. उसे अपने पति से संपर्क करने के लिए रोक दिया गया और उसे अपना काम छोड़ना पड़ा. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
वहीं हादिया के संघर्ष के समर्थन में जमात-ए-इस्लामी हिन्द की स्टूडेंट विंग स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया (एसआईओ) ने सोशल मीडिया पर ऑनलाइन कैंपेन चलाने का फैसला किया है. हादिया के संघर्ष में लोगों को जोड़ने के लिए एसआईओ ने ऑनलाइन कैंपेन का आयोजन किया गया है. यह कैंपेन सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और ट्विटर पर चलाया जा रहा है. इस कैंपेन का मकसद हादिया को इंसाफ दिलाना है, जिसकी शादी को केरल हाई कोर्ट ने ‘लव जिहाद’ का नाम देकर अवैध करार दे दिया है.
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