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Bihar & Jharkhand - Opinions - Politics - Social - April 28, 2019

तनवीर हसन-दो दशक से सामाजिक न्याय की मजबूत आवाज

By -Khalid Anis Ansari

तनवीर हसन दो दशक से ज्यादा राजद के साथ रहे हैं लेकिन कभी मंत्रिपद नहीं मिला. आलोचनात्मक आवाज़ हैं, आवामी नेता हैं, चमचागिरी नहीं करते हैं सुप्रीमो की. एक बार आधा गाँधी मैदान भर दिया था पटना में तो सियासी हलचल मच गयी थी. बकौल #नूर हसन आज़ाद भाई, जो कि पसमांदा आन्दोलन के सीनियर और तजुर्बेकार एक्टिविस्ट हैं, तनवीर साहब ने विधान सभा में दलित मुसलमानों के आरक्षण के लिए भी कई बार आवाज़ उठाई है. एक बार जब बक्खो मुस्लिम समाज के विस्थापन का मुद्दा उठा था तब भी तनवीर साहब ने उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया था. यानि सामाजिक न्याय के मामले में उनका रिकॉर्ड मज़बूत है.

अब सेक्युलर योद्धा जो रात-दिन ‘मुस्लिम विक्टिमहुड’ पर आंसू बहाते रहते हैं बेगुसराय में नया राग अलाप रहे हैं. उनके अनुसार अगर मुसलमान वोटर मुसलमान कैंडिडेट को वोट करेगा तो यह साम्प्रदायिकता होगी. अब इन शातिर लोगों से पुछा जाये कि अगर भूमिहार वोटर भूमिहार कैंडिडेट को वोट देगा, हिन्दू वोटर हिन्दू कैंडिडेट को वोट करेगा तो क्या यह क्रांति होगी? इन्हें तनवीर हसन का धर्म दिख रहा है कन्हैय्या का नहीं. मतलब कन्हैया कुमार तो अपनी जाति और धर्म से उठ सकते हैं लेकिन तनवीर हसन नहीं? कन्हैया की राजनीति असली मार्क्सवादी राजनीति है लेकिन तनवीर हसन का सामाजिक न्याय ढकोसला है?

सवर्ण-सेक्युलर लेफ्ट हमेशा सामाजिक न्याय की राजनीति के लिए अड़चने पैदा करता रहा है. ऐसे ही नहीं मान्यवर कांशीराम इनको ब्राह्मणवाद की C-टीम मानते थे. पूरे देश का सेक्युलर-लेफ्ट जिस तरह से बेगुसराय सीट लड़ा रहा है उस से ही सावधान हो जाना चाहिए. कन्हैय्या कुमार सामाजिक न्याय की राजनीति के लिए अच्छी खबर तो नहीं हो सकते हैं.

हाँ, तनवीर और कन्हैया दोनों यकीनन सवर्ण हैं. तनवीर हसन सय्यद हैं लेकिन सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दिखती है. दो दशक से ज्यादा अपने राजनीतिक करियर में कुछ कर के दिखाया है. गोदी मीडिया ने उनको पूरी तरह से नज़रंदाज़ किया है. कन्हैय्या कुमार भूमिहार हैं और मुखवीर हैं. उनका कहना है की पहले MP बनाओ फिर कुछ कर के दिखाऊँगा. पूरा मीडिया उनके समर्थन में है. आज बिहार के हर अखबार में पूरे पेज का विज्ञापन छपा है.

चुनावी गड़ित भी तनवीर हसन के पक्ष में है. यादव, मल्लाह, दलित, कुशवाहा, पसमांदा, अशराफ़ इत्यादि वोट उनको हचक के पड़ रहा है. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के क्रन्तिकारी गायकों, छात्र-छात्राओं, फिल्ममेकर्स, नारेबाजों, जंतर-मंतर के एक्सपर्ट्स ने अच्छा मनोरंजन किया बेगुसराय की जनता का. उस का तहेदिल शुक्रिया. लेकिन तनवीर हसन बीजेपी के कैंडिडेट को धूल चटाने जा रहे हैं. बेगुसराय अपने ज्यादा तजुर्बेकार बेटा के साथ खड़ा दिख रहा है. इस चुनाव में आखिरी रात ही क़त्ल की रात होगी.

Via~ Khalid Anis Ansari

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