ताजमहल ‘तेजो महालय’ काबा ‘शिव मंदिर’ क्रिश्चियनिटी ‘कृष्ण-नीति’ किसने दिए यह विवादित नाम?
ताजमहल की खूबसूरती को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं. दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को देखने दुनिया भर से पर्यटक पहुंचते हैं. लेकिन पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद से ताजमहल पर कई विवादास्पद बयानों की बौछार हुई है. केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकार आने के बाद से प्रशासन का एक धड़ा इसे ताजमहल नहीं, Rather ‘तेजो महालय‘ नाम से पुकारने लगा है.
यूपी सरकार ने सितंबर में ताजमहल को यूपी टूरिज़्म बुकलेट से भी हटवा दिया था, वहीं बीजेपी लीडर विनय कटियार ने ताजमहल को ‘तेजो महालय‘ बताकर एक नए विवाद को जन्म दिया है.
कटियार पहले नेता नहीं है इससे पहले भी कई नेता जिनमें संगीत सोम, सुब्रमण्यम स्वामी, अनिल विज विवादित बयान दे चुके हैं। दरअसल ताजमहल पर दिए गए विवादित बयानों के मूल में जो व्यक्ति है उसका नाम है मराठी लेखक पुरुषोत्तम नागेश ओक, जो पीएन ओक नाम से ज्यादा मशहूर हैं।
सर्वप्रथम ओक ही थे जिन्होंने किताब लिखकर दावा किया कि ताजमहल मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा अपनी बीवी मुमताज बेगम की याद में बनवाया गया मकबरा नहीं बल्कि एक पुराने शिव मंदिर पर बनवाी गई इमारत है। हालांकि ओक के इन दावों को मुख्य धारा के इतिहासकारों ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन लगता है कि बीजेपी के नेताओं और उनके समर्थक इतिहास के बारे में ओक पर पूरा भरोसा कर बैठे हैं।
तामजहल के अलावा पीएम ओक आगरा के लाल किले को भी हिंदू राजाओं द्वारा बनवाई गई इमारत बता चुके हैं। ओक के अनुसार आगरे का लाल किले का असली नाम लाल कोट था। इतना ही नहीं मुसलमानों के सर्वाधिक पवित्र धार्मिक स्थल काबा को भी ओक शिव मंदिर बता चुके हैं। ओक ने ईसाई धर्म के केंद्र वेटिकन को भी वेदिक वाटिका बताया। ओक ने दावा किया कि क्रिश्चियनिटी मूलतः कृष्ण-नीति है जो वैदिककालीन है।
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