नजरिया : चारा घोटाले में सिर्फ लालू यादव ही क्यों दोषी ?
AMIT KUMAR
नई दिल्ली। वंचितों को ताकत देने की सजा लालू जी को मिली, जिस चारा घोटाला का प्रयाय लालू जी को बनाया गया वो तो1977,78 से चल रहा था. सवाल उठता है की जब लालू जी को सिर्फ मुख्यमंत्री रहते हुए घोटाले का संरक्षक माना गया तो उनसे पूर्व 78 के बाद जितने भी मुख्यमंत्री हुए उनको संरक्षक क्यों नहीं माना गया. लालू जी को जिन मामलो में आरोपी बनाया गया है या सजा मिली है वह पूरी रकम जोड़ने पर 50 करोड़ होती है. सवाल है की 950 करोड़ रुपये के घोटाले में कौन कौन लोग शामिल थे?
अपना बिहार डॉट कॉम के अनुसार जिस पत्र के आधार पर लालू जी को जेल हुई है उस पत्र के मूल में नrतीश कुमार के चहेते उस वक्त के कांग्रेस के विधायक विजय कुमार चौधरी को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया ? सामंती और चारा घोटाला एक दूसरे के पूरक थे. असल में लालू जी सामंती साजिश के शिकार हुए. 1990 में लालू जी सत्ता में आते ही भ्रष्टाचार के माध्यम से कमाई के सारे रास्ते बंद कर दिए.
पशुपालन उधोग में लगे सामंती समाज के उधोगपतियों, नौकरशाहो,और राजनेताओं की भूमिका की जांच निगरानी विभाग को दे दिए. इससे सामंती सामाज के नेता बौखला गए. मीडिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी. चारा घोटाला को लालू यादव का घोटाला साबित करने में, वंचितों और अकलियतों के हक़ हकूक के लिए लड़ने वाला पिछड़े समाज का बेटा सामंतियों के आंखों में चुभने लगा, मीडिया उसे जोकर की तरह पेश करता रहा. उनके ऐसे कार्टून बनाये गए जैसे उसकी कोई गरिमा ही नहीं हो. उस वक्त के एक अंग्रेजी अखबार के वरिष्ठ पत्रकार ने लिखित तौर पर स्वीकार किया था की सीबीआई के जांच अधिकारी यु ऐन विश्वास ने मीडिया को अपने हिसाब से इस्तेमाल किया. बहरहाल पहले तहलका के अजीत साही और अब उस वक्त के इस केस के केंद्रीय जांच अधिकारी ए.पी. दुरई IPS की लिखी इस पुस्तक “Pursuit of Law and order” ने अपने किताब में लालू जी के खिलाफ ब्राह्मणवादी साजिश को उजागर किया.
(अमित कुमार जेएनयू में शोध छात्र हैं। ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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