नोटबंदी का फैसला देशहित में नहीं था:बिमल जालान
दिल्ली.आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने पिछले साल हुई नोटबंदी पर टिप्पणीकरते हुए कहा कि अगर वह देश के केंद्रीय बैंक के शीर्ष पद पर होते तो इसकी इजाजत बिलकुल नहीं देते.नोटबंदी के बाद देश के लोगों को भरी मुसीबतों से गुजरना पड़ा है.उन्होंने माना कि कालाधन एक समस्या है लेकिन नोटबंदी जैसे क़दमों से इस समस्या से निजात नहीं मिलेगी.जीएसटी पर उन्होंने कहा कि इसकी दरों को हर साल बदलने की जरूरत नहीं है. यह एक बहुत बड़ा कदम है. जीएसटी पर सेस लगाने के बारे में उन्होंने कहा कि यह नहीं होना चाहिए.
उक्त उदगार बिमल जालान ने अपनी किताब ‘भारत : भविष्य की प्राथमिकता’ के विमोचन अवसर पर व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि भारत सरकार रुपये की गारंटी देती है. नोटबंदी का नकारात्मक असर हुआ, लेकिन इससे बचत, जमा, लोगों के निवेश और ज्यादा आयकर रिटर्न दाखिल होने से सकारात्मक फायदे भी हुए.जब तक कोई बहुत बड़ा संकट न हो, मैं नोटबंदी की इजाजत नहीं देता.उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि देश में फिलहाल ऐसा कोई संकट नहीं था कि सरकार नोटबंदी जैसा निर्णय लेती. उल्लेखनीय हैकि जालान केंद्र सरकार में वित्त सचिव थे. 1997 से 2004 तक आरबीआई के गर्वनर भी रहे.
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