नोटबंदी श्रीदेवी की फिल्म नाकाबंदी की तरह फ्लॉप हो गई : रवीश कुमार
नई दिल्ली। नोटबंदी श्रीदेवी की फिल्म नाकाबंदी की तरह फ्लाप हो गई है. सारे संकेत यही बता रहे हैं मगर कोई कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. रिज़र्व बैंक के पास कितने नोट लौट कर आए, अभी तक हार्डवर्क वाले बता नहीं पा रहे हैं. यह जानना इसलिए ज़रूरी है कि सरकार कोर्ट तक में कह चुकी है कि 15-16 लाख करोड़ की मुद्रा चलन में थी. पांच सौ हज़ार के नोट बंद होने से 10-11 लाख करोड़ ही वापस आएंगे. बाकी चार पांच लाख करोड़ नष्ट हो जाएंगे और यह सरकार के पास एक तरह से मुनाफ़ा होगा क्योंकि आरबीआई इतना पैसा लौटा देगी.
अभी तक रिजर्व बैंक न तो नोटों को गिन पा रही है और न ही अब उम्मीद रखनी चाहिए. क्योंकि मूल बात प्रोपेगैंडा से लोगों तक पहुंचा दी गई है कि नोटबंदी सफल है. क्यों है कैसे हैं इससे किसी को क्या मतलब.
संसद के इसी मानसून सत्र में विचार मंत्री ने कहा है कि नोटबंदी के बाद 29 राज्यों से मात्र 11.23 करोड़ नकली नोट बरामद हुए हैं. रिजर्व बैंक ने जून 2017 को ख़त्म हुए अपने सालाना हिसाब-किताब के बाद केंद्र सरकार को 30,659 करोड़ का सरप्लस लौटाया है. यह राशि इस बार के बजट अनुमान से काफी कम है.
बजट में अनुमान था कि रिज़र्व बैंक से 75,000 करोड़ मिलेगा मगर मिला आधे से भी कम. क्यों ऐसा हुआ कारण नहीं बताया गया है? लगता है रिजर्व बैंक हमीं से उम्मीद कर रहा है कि समझ जाओ. बोलना क्या है.
2015-16 में रिजर्व बैंक ने 65,876 करोड़ लौटाया था. 2015-15 मे 65,896 करोड़. तीन साल बाद यह राशि आधी हो गई है. स्टेट बैंक आॅफ इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस वित्तीय वर्ष में सभी बैंक को क्रेडिट ग्रोथ ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम स्तर पर है.
इस बार डेढ़ लाख करोड़ कम क़र्ज़े का उठान हुआ है. आप जानते हैं कि बैंक लोन से ही कमाते हैं. वे पहले ही एनपीए के कारण संकट में हैं. अप्रैल में भी बैंक ने यही बात कही थी कि साठ साल में क्रेडिट ग्रोथ सबसे कम हुआ है. 10 अगस्त को स्टेट बैंक ने कहा कि सभी सेक्टर से क्रेडिट की मांग घंटी है. रियलिटी सेक्टर बर्बाद हो गया है.
हज़ारों लोग परेशान होकर मुझे फोन कर रहे हैं. मैं सबसे तंज में यही कहता हूं कि सोशल मीडिया पर भक्त बनकर दिन रात हिंदू मुस्लिम कीजिए. इसके अलावा कुछ नहीं होने वाला है. हिंदू मुस्लिम करने से आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और सारे दुख दूर हो जाएंगे. सबसे बड़ी बात है इतिहास ठीक हो जाएगा टीवी वाले भी हिन्दू मुस्लिम में बिजी हैं. इस मामले में हमारा ग्रोथ रेट अच्छा है.
बाकी शेयर बाज़ार अपने रिकॉर्ड स्तर पर है और जीडीपी आठ फीसदी होने ही वाली है. 2008 से यही सुन रहा हूं. कभी न कभी तो आठ फीसदी होकर रहेगी. मैं पोजिटिव हूं.
(यह लेख मूलत: रवीश कुमार के फेसबुक अकाउंट पर प्रकाशित हुआ है)
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