‘प्रभु’ जी रेल हादसे ट्वीट-ट्वीट खेलने से नहीं रुकते
मुजफ्फरनगर। मुज़़फ्फ़रनगर के खतौली में शनिवार शाम बड़ा रेल हादसा हुआ है. कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए. हादसे के बाद रेल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. इस बीच हादसे से जुड़ा एक ऑडियो भी सामने आया है. इस ऑडियो क्लिप में गेटमैन और एक रेलवे कर्मचारी के बीच बातचीत हुई है.
गेटमैन बता रहा है कि पटरी पहले से टूटी पड़ी थी. मगर, उस पर सही से काम नहीं किया जा रहा था. वो बता रहा है कि जो पटरी काटी गई थी, उसे जोड़ा नहीं गया और ऐसे ही छोड़ दिया गया. इतना ही नहीं, वहां काम करने वाले कर्मचारी अपने मशीन भी वहीं छोड़कर चले गए. गेटमैन बता रहा है कि पटरी जोड़ी नहीं गई थी और ट्रेन के आने का वक्त हो गया. ऐसे में सुरक्षा के लिए न कोई सिग्नल दिया गया और न ही लाल झंडा लगाया गया. गेटमैन बातचीत में आगे बता रहा है कि पटरी पर काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी लापरवाही बरतते हैं. कर्मचारी साइट पर तो आते हैं मगर वो आराम से बैठे रहते हैं. और गेटमैन ने कहा कि हादसे के बाद तुरंत ड्यूटी पर तैनात गैंगमैन, लोहार और जेई भाग गए.
रेल प्रशासन की ओर से लापरवाही की जो बात सामने आ रही है, गेटमैन के इस ऑडियो क्लिप ने उसे और पुख्ता कर दिया है. हालांकि, इस ऑडियो क्लिप की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. लेकिन इतना साफ हो गया है कि ये ऑडियो क्लिप रेलवे प्रशासन की लापरवाही की गवाही दे रहा है.
बहरहाल यूपी में लगातार बड़े रेल हादसे हो रहे हैं. और हर हादसे में रेल मंत्रालय आतंकी साजिश का शक जताता रहा है. बड़ा सवाल है हर हादसे को आतंकी साजिश बताने वाला रेल मंत्रालय क्या इतनी जानकारी नहीं रख पाता कि किस ट्रैक पर कहां काम चल रहा है? सुरेश प्रभु ने जब से रेल मंत्री की कमान संभाली है तब से ही हर हादसे के बाद पल्ला झाड़ने के लिए रेल मंत्रालय आतंकियों को जिम्मेदार बताकर अपनी जिम्मेदारी से बच जाता है.
पिछले तीन सालों में सुरेश प्रभु के रेलमंत्री रहते हुए 6 बड़े रेल हादसे हुए हैं. जिनमें सैकड़ों लोगों की जानें गई है. हजारों लोग घायल हुए हैं. लेकिन रेलवे हर बार कुछ और ही कहानी गढ़ कर अपना पल्ला झाड़ लेता है. रेलमंत्री हर बार रेलवे को सुरक्षित बनाने का दावे करते हैं. लेकिन फिर वही ढांक के तीन पात. एक नया हादसा हो ही जाता है. हादसे के बाद मरने वालों के परिजनों के लिए मुआवजे का ऐलान हो जाता है और फिर सबकुछ ठीक-ठाक कर देने की बात कह दी जाती है. मुजफ्फरनगर रेल हादसे में मरने वालों की जिम्मेदारी कौन लेगा. सुरेश प्रभु ये कब समझेंगे कि रेल हादसे ट्वीट करने से नहीं रुकते.
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