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Social - Southern India - State - September 6, 2017

बीजेपी के खिलाफ लिखने पर पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या

By Sayed Shaad

नई दिल्ली। पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई. गौरी लंकेश को उस वक़्त गोली मारी गई जब वह अपने घर लौट रही थीं. गौरी घर के अंदर जा ही रही थीं कि बाइक सवार लोगों ने उनपर 7 गोलियां फायरिंग की, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. 55 साल की गौरी ‘लंकेश पत्रिका’ की संपादक थीं. इसके साथ ही वो अखबारों में कॉलम भी लिखती थीं. टीवी न्यूज चैनल डिबेट्स में भी वो एक्टिविस्ट के तौर पर शामिल होती थीं. गौरी ट्विटर और फेसबुक पर खासा एक्टिव थीं. गौरी ने हाल ही में राणा अय्यूब की किताब ‘गुजरात फ़ाइल्स’ का कन्नड़ में अनुवाद किया था.

गौरी लंकेश हिंदूवादी विचारधारा की मुखर आलोचक रही. वो हिंदूवादी विचारधारा की धुर विरोधी थीं. गौरी लंकेश ने हिंदू धर्म और उसमें फैली जाति व्यवस्था पर कहा था कि, ”मैं हिंदू धर्म और उसकी जाति-व्यवस्था के खिलाफ हूं, जो अन्यायी और जेंडर बायस्ड है. उनकी हत्या की ख़बर आते ही सोशल मीडिया पर खलबली मच गई. लोग फ़ेसबुक पोस्ट और ट्वीट करके गुस्सा और दुख जताने लगे. नेताओं, पत्रकारों, लेखकों और विचारकों समेत आम लोग इस बारे में लिख रहे हैं. सोशल मीडिया पर #GauriLankesh ट्रेंड कर रहा है.

 

वरिष्ठ पत्रकार महेन्द्र यादव फेसबुक पर लिखते हैं, “भाजपा के खिलाफ लिखने पर बंगलौर में पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या. गौरी लंकेश ने 23 जनवरी 2008 को भाजपा पर एक आर्टिकल लिखा था. जिसके बाद कर्नाटक के धारवाड़ जिले के सांसद प्रह्लाद जोशी और भारतीय जनता पार्टी के नेता उमेश दुशी ने मानहानि का मामला दर्ज करा दिया था. मानहानि के इन दोनो मामलों में गौरी को अदालत ने छ महीने की सजा और दस हज़ार रूपये का जुर्माना लगाया है. लेकिन अदालत ने गौरी लंकेश को उच्च अदालत में अपील करने की अनुमति देते हुए जमानत भी दे दी थी. गौरी ने कहा था, “अदालत का फैसला मेरे लिए एक अस्थायी झटका है, लेकिन मैं उच्च अदालत में चुनौती दूंगी. कई लोगों को लगा कि मैं जेल जाउंगी. लेकिन मैंने उन्हें जमानत पाकर निराश किया है.
भाजपाइयों को इससे भी संतोष नहीं हुआ और उन्होंने गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी.”


वहीं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल अपने फेसबुक पन्ने पर लिखते हैं, ”संघ से पंजा भिड़ाकर लड़ रही पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु में गोली मारकर हत्या.”


वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शेष फेसबुक पर लिखते हैं, ”जो भी भाजपा के खिलाफ लिखेगा, उस पर ‘एक्शन’ लिया जाएगा..!’ (यानी क्या मार भी डाला जाएगा..?) ज्यादा दिन नहीं हुए, भाजपा के आइटी सेल के मुखिया ने यह धमकी सरेआम दी थी!
भाजपा को फासिस्ट कहते हुए गौरी लंकेश ने भाजपा के खिलाफ लिखा और उन्हें मार डाला गया.”


वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया,”पानसरे, कलबुर्गी, दाभोलकर और अब लंकेश…अगला कौन होगा? ये क्या हो रहा है? पिछले मामलों में दोषियों को अब तक पकड़ा क्यों नहीं गया है? जो लोग विरोधी आवाजों को ख़ामोश करने के लिए बंदूकें उठाते हैं मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि वे कायर हैं. तुम्हारी गोलियां जान ले सकती हैं लेकिन बहादुरी को रोक नहीं सकतीं.”


वहीं गीतकार ज़ावेद अख़्तर ने ट्वीट किया, ”दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और अब गौरी लंकेश. अगर एक ही तरह के लोगों को मारा जा रहा है.”


बरखा दत्त ने ट्वीट किया,”भारत में हम राम रहीम जैसे फ़र्जी लोगों के सामने सिर झुकाते हैं और तर्कशील लोगों की हत्या करते हैं.”

वहीं वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार फेसबुक पर लिखते हैं, ”बंगलुरू में पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर में घुसकर हत्या कर दी गई है. गौरी लंकेश पत्रिके’ में सत्ता विरोधी ख़बरें होती थीं और धार्मिक संकीर्णता के खिलाफ ख़ूब लिखा है. हिन्दुत्व की संकीर्णता पर सामने से सवाल किया. कलबुर्गी की हत्या को लेकर उनकी पत्रिका काफी मुखर रही. सरकारों के खिलाफ लिखने वाली एक साहसिक महिला पत्रकार को ख़त्म किया गया है. गौरी की माँ साहसिक पत्रकार रही हैं और उनकी बहन क़ाबिल फ़िल्मकार. कर्नाटक में खेल हो गया है आवाज़ दबाने के लिए किसी को मार देना. अगर ऐसी ताक़तें वहां धर्म की आड़ में पनप रही हैं तो समाज से पूछना चाहिए कि आपने उनके कबाड़ सोच में ऐसा कौन सा सपना देख लिया है कि कलबुर्गी से लेकर गौरी लंकेश की हत्या जायज़ लगने लगी है. शर्मनाक दौर में है हमारा समाज और घटिया होती जा रही हैं सरकारें. आप कब तक चुप रहेंगे ? इस चुप्पी से आपको झूठ के अलावा क्या मिल रहा है? आप देखिये शोक समाचार पर भी कमेंट बाक्स में कैसे कुछ लोग जश्न मना रहे हैं. ये लोग अपनी सोच से आपके बच्चों को भी हत्यारा बना देंगे. ये ज़हर है ज़हर. ये उनकी आख़िरी ट्वीट का स्क्रीन शाट है.”

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