भारत में अब रोहिंग्या मुसलमानों की नो एंट्री, जानें वजह ?
नई दिल्ली। रोहिंग्या मुससलमानों का शुमार दुनिया के सबसे ज्यादा सताए हुए अल्पसंख्यक समुदाय में होता है. रोहिंग्या जिनपर आतंकी होने का भी इल्जाम है. मोदी सरकार भी इनके बारे यही मानती है कि रोहिंग्या मुसलमान देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं. जबकि सही मायनों में रोहिंग्या का कोई ठौर ठिकाना नहीं है. रोहिंग्या मुसलमानों का कोई देश नहीं है. यानी उनके पास किसी देश की नागरिकता नहीं है. दरअसल रहते तो ये म्यामांर में हैं, लेकिन वहां उन्हें प्रवासी माना जाता है. इनके पास अपने देश म्यांमार की नागरिकता नहीं है. म्यांमार में इस वक़्त करीब 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं. आज बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया जैसे देशों में शरण लेने पर मजबूर हैं.
भारत ने सील की अपनी सीमाएं
भारत ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश में आने से रोकने के लिए अपनी सीमाएं सील कर दी हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मिज़ोरम में बांग्लादेश और म्यांमार से लगती सीमाएं सील कर दी गईं हैं. असम राइफल्स की गश्त भी बढ़ा दी गई है. बता दें कि मोदी सरकार ने सोमवार को रोहिंग्या शरणार्थियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. सरकार ने कोर्ट को बताया है कि अवैध रोहिंग्या शरणार्थी देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं. सराकर ने हलफनामे में रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से कनेक्शन होने की बात करते हुए उन्हें किसी कीमत में भारत में रहने की इजाजत नहीं देने की बात कही गई है.
भारत में कितने हैं रोहिंग्या ?
भारत में 40 हज़ार रोहिंग्या मुसलमान हैं. जिनमें 14 हज़ार रोहिंग्या UNHCR के कार्ड धारक हैं. 80 के दशक में जब रोहिंग्या मुसलमान भारत आए थे तब उनका स्वागत किया गया था लेकिन आज सरकार की नीति कुछ और हो गई है.
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