भूखा भारत, शर्म सरकार को मगर नहीं आती
BY SAYED SHAAD
नई दिल्ली। भारत में चाहे कांग्रेस की सरकार सत्ता में रहे या फिर बीजेपी की, दोनों ही पार्टियां प्रगति और विकास के लंबे-चौड़े दावे करते रहे हैं. लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. अलग-अलग वैश्विक संगठनों के समय-समय पर होने वाले अध्ययनों और रिपोर्टों से सरकार के दावों की कलई खुलती रही है. बावजूद इसके ना तो सरकार की ओर से और ना ही नेताओं की ओर से उनके किए गए वादों को हकीकत में बदलने की दिशा में कोई ठोस पहल होती है. ऐसी रिपोर्ट्स आने के बाद कुछ दिनों तक चर्चा रहती है लेकिन उसके बाद फिर पहले की तरह सबकुछ एक ही ढर्रे पर चलने लगता है.
बहरहाल बीते सप्ताह विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की विकास दर में गिरावट का दावा किया था. उसके बाद अब वैश्विक भूख सूचकांक में देश के 100वें स्थान पर होने के शर्मानक खुलासे ने विकास और प्रगति की असली तस्वीर पेश कर दी है. जी हां इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई) की ओर से वैश्विक भूख सूचकांक पर जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 119 विकासशील देशों में भूख के मामले में भारत 100वें स्थान पर है. इससे पहले बीते साल भारत 97वें स्थान पर था.
बांग्लादेश से भी बदतर भारत
इस मामले में भारत उत्तर कोरिया, इराक और बांग्लादेश से भी बदतर हालत में है. इस रिपोर्ट में भारत में कुपोषण के शिकार बच्चों की बढ़ती तादाद पर भी गहरी चिंता जताई गई है. वहीं भूख पर इस रिपोर्ट से साफ है कि तमाम योजनाओं के एलान के बावजूद अगर देश में भूख और कुपोषण के शिकार लोगों की आबादी बढ़ रही है तो योजनाओं को लागू करने में कहीं न कहीं भारी गड़बड़ियां और अनियमितताएं हैं. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और मिड डे मील जैसे कार्यक्रमों के बावजूद न तो भूख मिट रही है और न ही कुपोषण पर अंकुश लगाने में अबतक कामयाबी मिल सकी है.
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