भ्रष्टाचार खत्म करने वाली BJP सरकार को क्यों नहीं भाते ईमानदार अफसर ?
नई दिल्ली। ईमानदारी से काम करने वाले अफसरों का सरकारे या तो ट्रांसफर कर देती है या फिर उनका विभाग बदल देती हैं। भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने का दावा करने वाली बीजेपी सरकार की नियत का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है, कि भ्रष्टाचारियों का पर्दाफाश करने वाले आईएएस अशोक खेमका का बीजेपी सरकार ने 50वीं बार ट्रांसफर किया है।
बीते कुछ दिनों पहले यूपी के संभल जिले में तैनात सीओ श्रेष्ठा ठाकुर का बस इस वजह से ट्रांसफर कर दिया था कि उन्होंने बीजेपी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस दिखाया था। श्रेष्ठा ठाकुर के तबादले के बाद यह मामला काफी सुर्खियों में आया औऱ बीजेपी सरकार की जमकर किरकिरी भी हुई।
हरियाणा में राबर्ट वार्डा के भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाले आईएएस अफसर अशोक खेमका का 50वीं बार ट्रांसफर कर दिया गया है। अशोक खेमका सबसे पहले सुर्खियों में उस वक्त आए थे जब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा- डीएलएफ लैंड डील की म्यूटेशन को खारिज कर दिया था।
हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने अब खेमक को विज्ञान औऱ प्रोद्योगिकी से हटाकर सामाजिक न्याय औऱ अधिकारिता विभाग का प्रधान सचिव बनाया है।
सिर्फ अशोक खेमका ही इस लाइन में नहीं है बल्कि उनके अन्य साथियों का भी ट्रांसफर किया है, हरियाणा के ही आईएएस अधिकारी प्रदीप कासनी का 33 साल में 68 बार तबादला हो चुका है, मनोहर सरकार अपने शासन काल के दौरान प्रदीप का 13 बार ट्रांसफर कर चुकी है।
अशोक खेमका का 26 साल के करियर में 50 बार ट्रांसफर हो चुका है, विभागों में भ्रष्टाचार की पोल खोलने के लिए मशहूर नियमों औऱ दायरे में काम करने कारण अशोक खेमका हमेशा ही सत्ता का साथ नहीं निभा पाते हैं।
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