मिलिए उस पत्रकार से, जिसने खोली थी, बाबा के करतूतों की पोल
By Sayed Shaad
नई दिल्ली। हरियाणा में पंचकुला की विशेष अदालत 28 अगस्त को बाबा राम रहीम को सजा सुनाएगी. वहीं कोर्ट ने बाबा राम रहीम को रेप के आरोप में दोषी करार दे दिया है. पंचकुला की विशेष अदालत ने बाबा राम रहीम को भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत दोषी माना है. अदालत के फैसले के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.
राम रहीम का ‘पूरा सच’ सामने लाने वाला पत्रकार
साल 2002 में इस रेप केस की जानकारी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने पहली बार दी थी. दरअसल रामचंद्र ने अपने अखबार के जरिए राम रहीम के खिलाफ 15 साल पहले साध्वी के साथ रेप का मामला उजागर किया था. रामचंद्र छत्रपति सिरसा के सांध्य दैनिक ‘पूरा सच’ के संपादक थे. दरअसल रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार में साध्वी के उस गुमनाम पत्र को छापा था जिसमें साध्वी ने राम रहीम पर रेप का आरोप लगाया था. रेप की खबर अखबार में छपने के कुछ महीने बाद ही रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. छत्रपति का परिवार आज भी उनकी हत्या के मामले में न्याय का इंतजार कर रहा है. यह मामला भी उसी सीबीआई कोर्ट में चल रहा है जिसने राम रहीम को रेप के मामले में दोषी ठहराया है.
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को यूं याद करते हैं योगेंद्र यादव
स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव फेसबुक पर पत्रकार रामचंद्र छत्रपति से जुड़ी यादों को साझा करते हैं.
योगेंद्र यादव फेसबुक पर लिखते हैं, “जब भी मैं डेरा सच्चा सौदा के बारे में सुनता हूं, मुझे 20 अक्टूबर 2002 की याद आ जाती है. उस दिन मैं हरियाणा के शहर सिरसा में था, जो डेरे के मुख्यालय के नज़दीक है. मुझे वहां के अखबार “पूरा सच” के संपादक रामचंद्र छत्रपति जी ने “वैकल्पिक राजनीती और मीडिया की भूमिका” विषय पर व्याख्यान देने के लिए बुलाया था. एक ईमानदार और साहसी पत्रकार के रूप में छत्रपति जी की ख्याति और सिरसा शहर की पंजाबी और हिंदी की साहित्यिक मण्डली ने मुझे अभिभूत किया था. भाषण के बाद छत्रपति जी मुझे दूध-जलेबी खिलाने ले गए. वहीं सड़क के किनारे बैठकर मैं उनसे डेरा सच्चा सौदा के बारे में सुनने लगा. उन्होंने मुझे पहली बार एक साध्वी द्वारा बाबा के खिलाफ यौन शोषण के आरोप के बारे में बताया. डेरे के अंदर की बहुत ऐसी बातें बतायीं जो मैं यहाँ लिख नहीं सकता. यह सुनकर मैंने कहा “अगर ये धर्म है तो अधर्म क्या है?” छत्रपति जी मुस्कुराये, बोले ये बोलने की किसी में हिम्मत नहीं है. कोई वोट के लालच में चुप है, कोई पैसे के लालच में चुप है. लेकिन “पूरा सच” में हमने साध्वी की चिठ्ठी छाप दी है. उससे बाबा बौखलाए हुए हैं। चिठ्ठी छपने के महीने के अंदर उसे लीक करने के शक में भाई रंजीत सिंह की हत्या कर दी गयी. सुनकर मैं सिहर गया. पूछा “रामचंद्र जी, आपको खतरा नहीं है”? बोले “हाँ कई बार धमकियाँ मिल चुकी हैं, क्या होगा कोई पता नहीं. लेकिन कभी न कभी तो हम सबको जाना है. चार दिन बाद खबर आयी कि रामचंद्र छत्रपति के घर पर हमलावरों ने उन्हें पांच गोलियां मारी. कुछ दिन के बाद छत्रपति जी चल बसे. हरियाणा सरकार (उन दिनों चौटाला जी की लोक दल की सरकार थी) ने हत्या की ढंग से जांच तक नहीं करवाई, प्रदेश भर के पत्रकार खड़े हुए, फिर भी सरकार CBI जांच के लिए न मानी. आखिर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के बाद CBI जांच हुई (उसे भी डेरे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, रिटायर्ड जस्टिस राजेंद्र सच्चर के खड़े होने के बाद कहीं जाकर जांच शुरू हो सकी) जांच के बाद CBI ने रामरहीम और उनके विश्वासपात्रों को छत्रपति जी की हत्या का आरोपी बनाया. वो मुकदमा अभी चल रहा है. फैसला आना बाकी है.
सोशल मीडिया पर पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की तारीफ
राम रहीम पर फैसला आने के साथ ही पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के लिए सोशल मीडिया पर न्याय की मांग उठने लगी है.
वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव फेसबुक पर लिखते हैं, “रामचंद्र छत्रपति के अख़बार ‘पूरा सच’ ने गुरमीत राम रहीम को बेनक़ाब किया था. उस निर्भीक पत्रकारिता की क़ीमत उन्होंने जान देकर चुकाई. आज उनकी हिम्मत को सलाम, उनकी स्मृति को नमन. उन जैसे निर्भीक पत्रकारों की वजह से पत्रकारिता की साख बची हुई है.”
वहीं वरिष्ठ पत्रकार अंबरिश कुमार कुमार लिखते हैं, “यह थे वह पत्रकार राम चंद्र छत्रपति जिन्होंने ढोंगी बाबा राम रहीम बाबा का भंडाफोड़ किया और बाबा के गुर्गों ने उसपर पांच गोलियां दाग दी, बाद में उनकी मौत हो गई.”
फारूख अहमद लिखते हैं, “रामचंद्र छत्रपति जी के बेखौफ कलम को सलाम.”
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Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…