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Social - State - Uttar Pradesh & Uttarakhand - August 11, 2017

‘मोदी सरकार की असंवैधानिक नितियों के कारण हर तरफ भय, आतंक और अफरातफरी का माहौल है’

 

लखनऊ में बीएसपी कार्यकर्ताओं और नेताओं की एक मीटिंग का आयोजन हुआ जिसमें ‘बसपा का सपना, सरकार हो अपना’ नारे के साथ आने वाले चुनाव में फतह करने के लिए हर प्रकार का संघर्ष करने की बात हुई।

मीटिंग के दौरान बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने फीडबैक के आधार पर यह महसूस किया कि भाजपा और आरएसएस जातिवादी और सांप्रदायिक नीतियों की वजह से गरीब, दलित, पिछड़ों को सरकारी स्तर पर काफी तिरस्कार झेलना पढ़ रहा है. साथ ही इन लोगों पर अत्याचार बढ़ गया है।

इस विशेष बैठक को सम्बोधित करते हुये बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि भाजपा और मोदी सरकार के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों के साथ-साथ असंवैधानिक व अलोकतान्त्रिक नीति व व्यवहार के कारण आज देश में हर तरफ भय, आतंक, हिंसा, बेचैनी व एक प्रकार से अफरातफरी जैसा माहौल है.

ग़रीबों, मज़दूरों, किसानों, युवाओं, बुद्धजीवी व व्यापारी वर्ग के साथ-साथ दलितों, पिछड़ों व मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा सरकार का रवैया लगातार निरंकुश व दमनकारी होता जा रहा है जिससे पूरा देश चिन्तित है, परन्तु इसे महसूस कर आवश्यक सुधार करने के बजाय भाजपा सरकार का अहंकार देश को लगातार त्रासदी की तरफ अग्रसर कर रहा है.

मायावती ने कहा कि बसपा एक राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ एक मिशनरी मूवमेन्ट भी है, जो बाबासाहेब डा. अम्बेडकर के कारवाँ की देश में एक मात्र सशक्त राजनैतिक पार्टी है. इसने अपने राजनीतिक सफर में अबतक काफी उतार-चढ़ाव देखें हैं, परन्तु बसपा की असलियत यह है कि इसने ना बिकने वाला एक शक्तिशाली समाज बनाया है जो बाबासाहेब डा. अम्बेडकर व मान्यवर कांशीराम की असली इच्छा थी और यही कारण है कि खासकर उत्तर प्रदेश में बसपा ने सत्ता की मास्टर चाबी चार बार अपने हाथ में लेकर अपना उद्धार स्वयं करने के बाबासाहेब के सपने को जमीनी हकीकत में बदलने का काम किया है, जिससे जातिवादी ताकतों के सीने पर साँप लोटता रहता है.

इसी का एक परिणाम यह है कि लगातार बेहतर वोट प्रतिशत प्राप्त करने के बावजूद भी बसपा 2014 के लोकसभा आमचुनाव में कोई सीट नहीं जीत पायी तथा 2017 के विधान सभा आमचुनाव में अपेक्षा से काफी कम सीटें जीत पायी, यह सब पार्टी की कमजोरी से ज्यादा उन साजिशों का ही परिणाम है जो बसपा व उसके नेतृत्व के खिलाफ लगातार की जा रही है ताकि अम्बेडकरवादी कारवाँ को सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने से दूर रखा जा सके. लेकिन यह स्थिति हमेशा बरकरार रहने वाली नहीं है.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इन चुनावी नतीजों का ही दुष्परिणाम है कि आज देश व उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में भाजपा एण्ड कम्पनी की संकीर्ण, जातिवादी, साम्प्रदायिक व जनविरोधी सोच वाली सरकारें हैं और समाज के कमजोर, उपेक्षित व शोषित वर्ग के लोगों पर हर प्रकार की जुल्म-ज्यादती, अन्याय, शोषण, भेदभाव आदि के पहाड़ टूट रहे हैं और इन लोगों की गुलामी, लाचारगी के अंधकार में दोबारा धकेलने का प्रयास लगातार किया जा रहा है तथा इनके खिलाफ लोकतान्त्रिक तरीके से आवाज उठाने पर तानाशाही रवैया अपनाकर इनकी आवाज को संसद तक में कुचला जा रहा है.

इतना ही नहीं बल्कि भाजपा की नफरत की राजनीति अब इतनी ज्यादा कट्टरवादी व द्वेषपूर्ण हो गयी है कि विरोधी पार्टी के नेताओं के खिलाफ जानलेवा हमले भी करवाये जा रहे हैं, यह सब लोकतंत्र के लिये शुभ लक्षण कतई नहीं है जिसके विरूद्ध लोगों को सचेत व संगठित करना बहुत जरूरी है। इस प्रकार की अक्रामकता व अराजकता इसलिये जारी है क्योंकि बीजेपी सरकारें इन्हें शह व संरक्षण दे रही है.

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