ये दो फोटो ही न्यू इंडिया की असली तस्वीर है
PUBLISHED BY_SADDAM KARIMI
खबर यह नहीं है कि दो बहुजन बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, ख़बर ये है कि ये दोनों घर में शौचालय नहीं होने की वजह से बाहर शौच के लिए गए थे. उससे भी बड़ी खबर ये है कि इसी साल दो अक्टूबर को देश खुले में शौच से मुक्त होने जा रहा है.
और सबसे बड़ी खबर ये है कि आज ही देश के प्रधानमंत्री को स्वच्छता अभियान (हर घर शौचालय) के लिए बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड से सम्मानित किया है.
मुझे नहीं लगता कि न्यू इंडिया में इस तरह की घटनाओं से किसी को कोई खास फर्क पड़ता है. बहुजन हो या मुसलमान इनकी हत्या या मॉब लिंचिंग आजकल रूटीन खबर है. मतलब अगर हर 10-15 दिन में कोई मॉब लिंचिंग न हो तो ऐसे लगता है जैसे हिंदुत्व सो गया हो.

हिंदुत्व जाग रहा है इसे साबित करने के लिए एक निश्चित समय अंतराल पर इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति की जाती है. इसलिए इस पर चर्चा करना समय की बर्बादी होगा. चर्चा इस पर होनी चाहिए कि गांधी जयंती पर जो होने जा रहा है
क्या वो गांधी को श्रद्धांजलि है? क्या गांधी ने इसी तरह के स्वच्छ भारत की कल्पना की थी? जिस देश में इस तरह की घटनाएं हो रही है उसे ओडीएफ घोषित कर क्या गांधी के सपनों को पूरा किया जा रहा है?
जहां शौचालय नहीं होने पर खुले में शौच करने के कारण दो बच्चों की हत्या कर दी जाती है वहीं देश भर में शौचालय बनवाने के नाम पर ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड लेकर क्या प्रधानमंत्री ने दलितों का माखौल नहीं उड़ाया है?
एक जगह मैंने पढ़ा था कि एक बार एक औरत महात्मा गांधी के पास आई. उसने गांधी जी से कहा कि मेरा बेटा मीठी चीजें बहुत खाता है जिसके कारण इसका घाव ठीक नहीं हो रहा, अगर आप उसे मना कर देंगे तो वो मीठी चीज नहीं खाएगा. उसने गांधी जी से कहा आप उसे अगर बोल दे कि मीठा नहीं खाना चाहिए ये गंदी चीज है तो ये खाना छोड़ देगा.

उसके बाद वो औरत अपने बेटे को लेकर गांधी जी के पास गई तो उन्होंने बच्चे से ऐसा कुछ नहीं कहा जो उस औरत ने उनसे कहा था। इस पर वो महिला गांधी जी पर काफी गुस्सा हुई.
उसने कहा कि अगर आप उसे मना कर देते तो इसमें आपका क्या जाता? वो मीठी चीज खाना छोड़ देता और उसका घाव ठीक हो जाता. इस पर गांधी जी ने उस महिला से कहा कि मैं झूठ नहीं बोल सकता कि मीठा खाना गलत है.
क्योंकि अभी मैं खुद मीठी चीज खाता हूं. उन्होंने कहा कि आप बच्चे को लेकर कल आना तब तक मैं खुद मीठा खाना छोड़ दूंगा.
इस कहानी को अगर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो देश को ओडीएफ घोषित करने से पहले और यह अवार्ड लेने से पहले प्रधानमंत्री को खुद इसके प्रति आश्वस्त हो जाना चाहिए था कि देश की सवा अरब आबादी के पास शौचालय है. ऐसे में देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर महज़ एक अभियान की खानापूर्ति करते हुए प्रधानमंत्री सिर्फ और सिर्फ अपनी महत्वकांक्षा को तृप्त कर रहे हैं न कि गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा.
(ये शब्द वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद तौहिद आलम के ब्लॉग से लिया गया हैं)
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