राजीव गांधी ने देश के लिए जो किया, नामुमकिन सा लगता है !
राजीव गांधी की उम्र 47 साल थी जब उनकी हत्या हुई और वे मात्र 40 साल के थे जब प्रधानमंत्री बने… हम सब नवोदयन्स राजीव गांधी के ऋणी है… मैं खुद कम से कम 1000 ऐसे लोगो को जानता हूँ जिनके जीवन जिनकी केरियर में नवोदय का बहोत बड़ा योगदान है…
अगर नवोदय विद्यालय न होती तो आज वे वो ओहदा, वो रुतबा, वो सफलता हांसिल ही न कर पाते जहां वे आज है… मैं भी उनमे से एक हूं..आज राजीव गांधी की जन्म जयंती के मौके पर अगर हम उन्हें याद न करे तो सही नही है… 1984 में वे PM बने और 1985 में उन्होंने इस देश के गरीब देहात के प्रतिभाशाली बच्चों को एक उच्च कोटि की शिक्षा मिल सके इस इरादे से नवोदय विद्यालय की नींव रखी…. जरा गौर कीजिएगा की कितनी बेहतरीन व्यवस्था की थी उनहोने…
- एक जिले में से 6th std से 80 बच्चों को प्रवेश परीक्षा से चयनित किया जाएगा…
- उन 80 में से 16 (20%) शहरी विस्तार से होंगे बाकी 64 ग्रामीण इलाको से ऐसा इसलिए कि अगर ऐसा न होता तो ग्रामीण इलाकों से कम ही लोग Qualify कर पाते
- इन चयनित बच्चों को राजीव गांधी जिस दून स्कूल में पढ़े थे ऐसी बोर्डिंग स्कूल में निशुल्क पढ़ाया जाएगा…
- निशुल्क मने ये मान लो सरकार उनको अगले 6 साल के लिए गॉद लेगी, भोजन, पढ़ाई, रहना, कपड़ा सब फ्री…
- यहां तक कि टूथ ब्रश, साबुन, हेर आयल, घर से आने जाने का टिकट सब कुछ फ्री… मानो वे सरकार के बेटे बेटिया है
-पढ़ाई, खेल कूद, विज्ञान, कला संस्कृति आदि सब की ट्रेनिंग दी जाती है…
- 9th Std में Migration होता है जिसके तहत 15 बच्चों को उस राज्य से बाहर किसी और स्कूल में Migrate किया जाता है, ताकि बच्चे एक दूसरे के राज्य रहन सहन को जाने देश मे एकता बढ़े…
- जाति, धर्म, पैसा रसूख के आधार पे कोई भेदभाव नही किया जाता था, सब को एक नजर से देख जाता था…
- आज देश में 550 से ज्यादा ऐसी स्कूल है, सारी की सारी लगभग एक जैसी ही…
- अब तक 10 लाख से ज्यादा लोग इससे पास आउट है…
- इस वर्ष ही करीब 400 से ऊपर नवोदयँ IIT के लिए Qualify हुए हैं
- नवोदयँ योजना की सफलता का आकलन आप ऐसे भी लगा सकते है कि मोदीजी ने 4 साल में कोई 55 नई नवोदयँ सेंक्शन की है (उनका भी धन्यवाद)
मुद्दे की बात ये है कि इतना सारा देने के बाद भी हमने कभी राजीव गांधी या सोनिया राहुल के मुंह से उसकी क्रेडिट लेते न देखा न सुना…. वो पैसे जनता के थे और हम जनता से चयनित होकर आए थे, हमे वो हक से दिया हक समज के दिया… कभी हम को किसी उपकार की भावना से नही जताया गया… मुफ्त का खाया या मुफ्त की पढ़ाई की ऐसा किसी ने नही कहा…
जब उनकी हत्या हुई तब हम नवोदयँ में ही पढ़ रहे थे, मुझे याद भी नही कि मैं कोई ज्यादा दुखी भी हुआ होगा… क्योंकि हमें वो हक इतनी सहजता से दिया गया था हमे उसका कोई महत्व तक पता नही था… आज पीछे मुड़कर देखते है और आज के हालात में सरकार 1000 रुपये का एक गेस बर्नर भी दे देती है तो कितना चिल्लाती है ये देखकर अहसास होता है कि हमे कितना दिया गया और कभी जताया तक नही गया….
एक अच्छा विचार, एक Innocent Politician ने कैसे लागू किया ये नवोदय विद्यालय एक श्रेष्ठ उदाहरण है इस बात का… राजीव गांधी को उनकी जन्म जयन्ति पर हर नवोदयन की और से तहदिल से शुक्रिया….!!!!
(Manoj Khapekar के फेसबुक वाल से नेशनल इंडिया न्यूज ने लिया है )
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