राम का दर्शन और बलात्कार
Published By- Saddam Karimi
By- नवल किशोर कुमार
संयुक्त राष्ट्र संघ में कुल 193 सदस्य देश हैं। इनमें भारत उन देशों में शामिल है जहां महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक आपराधिक घटनाएं जिनमें बलात्कार मुख्य रूप से शामिल है। यहां तक कि अफगानिस्तान और सीरिया से भी अधिक। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में सबसे अधिक बलात्कार की घटनाएं भारत में घटित होती हैं। घरेलू हिंसा के सबसे अधिक मामले भी पूरे एशिया में भारत में सबसे अधिक होते हैं। वर्ष 2017 में बलात्कार की 24,923 घटनाएं घटित हुईं। इनमें 98 फीसदी घटनाओं को अंजाम उन्होंने दिया जिनको पीड़िता जानती थी।
सोचता हूं कि आखिर ऐसा क्यों है? क्या भारत की महिलाएं इतनी कमजोर हैं कि वे अपनी रक्षा स्वयं नहीं कर सकती हैं? क्या उनमें इतनी भी ताकत नहीं है कि वे प्रतिकार कर सकें?
अभी हाल ही में मैंने एक फिल्म देखी। फिल्म का नाम हाईवे है। मुख्य किरदार रणदीप हुडा और आलिया भट्ट ने निभायी है। इस फिल्म में उच्च आय वर्गीय परिवार में घरेलू यौन हिंसा के क्रूरतम रूप को निर्देशक ने बखूबी दर्शाया है। चूंकि फिल्म इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के अंत में फिल्म में बनी है, संभवत: इसलिए नायिका यह कहने का साहस दिखा पाती है कि कैसे उसके चाचा चॉकलेट के बहाने उसके साथ गंदा काम करते हैं और यह भी कि कैसे लोक-लाज के कारण उसकी मां उसे खामोश कर देती है।
यह तो हुई फिल्म की बात। फिल्मों में तो आमतौर पर वही होता है जो आम लोगों के जीवन में शायद ही कभी हो। अब तो बायोपिक फिल्मों में भी जबरदस्ती के रोमांस और रोमांच के मसाले फ्राई किए जाते हैं। लेकिन सचमुच क्या आपने सोचा है कि भारत में महिलाएं सबसे अधिक बलात्कार की शिकार क्यों होती हैं?
रूकिए, मुझे अंदाज लगाने दें। यदि आप पुरूषवादी विचारधारा के हैं तो आपका जवाब यही होगा कि महिलाएं खुद ही अपने साथ होने वाली घटनाओं के लिए जिम्मेवार हैं। महिलाओं के जींस और टॉप पहनने या फिर स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहने देखने पर पुरूषों का मचलना आम बात है। कुदरत ने यदि महिला बनाया है तो उन्हें अपने बदन को ढंककर रखना चाहिए।
यदि आप थोड़े प्रगतिशील हैं तो आप कहेंगे कि यह तो गलत है। महिला चाहे बदचलन ही क्यों न हो, उसके साथ जबरदस्ती गलत बात है।
चलिए, मान लेते हैं कि आप बहुत अधिक प्रगतिशील हैं और फेमिनिस्ट नहीं हैं तो आप कहेंगे कि यह तो नवउदारवादी पूंजीवादी प्रभाव है। इन सबके पूंजी का खेल है। आपका तर्क यह होगा कि महिलाएं आज खुद को बाजार का उत्पाद बन रही हैं। वे नयूड सीन देने से भी परहेज नहीं कर रही हैं। उनका शरीर बाजार का उत्पाद नहीं है।
हो सकता है कि आप समाजवादी हों। लोहिया की तरह। आप कह सकते हैं कि महिलाओं को सशक्त बनाया जाना चाहिए। वे भी उतनी ही वंचित हैं जितने कि दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग।
लेकिन मैं स्वयं को आप सबसे अलग करता हूं। मेरी नजर में महिलाएं मुझसे अलग नहीं हैं। प्रकृति द्वारा उपलब्ध संसाधनों पर जितना मेरा अधिकार है, उतना ही महिलाओं का भी। मेरा मानना है कि यदि आज भारत में सबसे अधिक महिलाएं बलात्कार का शिकार होती हैं और प्रति मिनट पांच महिलाओं के साथ यह अपराध घटित होता है तो उसकी वजह यहां का दर्शन है।
भारत का दर्शन क्या है? चलिए इससे पहले कि हम कथित वैदिक काल (जो यथार्थ से अधिक कल्पना है) आधुनिक इतिहास पर नजर डालें।
27 अक्टूबर 1947 को हरिजन सेवक पत्रिका के पृष्ठ संख्या 366 पर मुद्रित एक लेख के अनुसार, गांधी कहते हैं – “अगर मरने का सीधा रास्ता जहर है तो मैं कहूंगा कि बेइज्जती कराने बनिस्बत जहर खाकर मर जाना बेहतर है। जिन्हें खंजर रखना है, वे रखें। लेकिन खंजर से एक-दो का मुकाबला किया जा सकता है। सैंकड़ों का नहीं। खंजर तो कमजोरी की निशानी है। आखिरकार जान पर खेलने को तैयार महिला ही अपनी आबरू बचा सकती है। और कुछ न कर सके तो उन्हें अपने पास जहर रखना चाहिए। जहर खाकर मरना नैतिक पतन से अच्छा है।”{
मैं मानता हूं कि गांधी गलत हैं। पूरी तरह गलत। इसके कारण मैं बाद में बताउंगा लेकिन इससे पहले मैं आपको यह बताता हूं कि आखिर क्या वजह है कि गांधी महिलाओं की अस्मिता को योनि की पवित्रता से जोड़ते हैं? इसी सवाल के जवाब में यह निहितार्थ भी है कि आखिर क्यों भारत में महिलाएं संबसे अधिक बलात्कार का शिकार होती हैं या फिर सबसे अधिक घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं।
तो जनाब, इसका जवाब है राम। यह देश राम का अनुसरण करता है। रामनवमी अभी हाल ही में संपन्न हुई है। आपने भी अपने शहर में इस मौके पर राम भक्तों को हाथ में तलवार लिए देखा होगा। इसमें महिलाएं कहीं भी आपको नहीं दिखी होंगी। सिवाय झांकियों के। एक महिला और तीन पुरूष। राम, लक्ष्मण और हनुमान के बीच एक महिला।
जो राम को अपना भगवान मानते हैं, वे राम के आदर्श को मानते हैं। मैं सोचता हूं कि आखिर राम को सीता की अग्नि परीक्षा क्यों लेनी पड़ी? इस प्रश्न की वजह यह कि हनुमान ने राम को पूरी बात पहले से बता दी थी कि रावण के कैद के बावजूद सीता की योनि पर कोई हमला नहीं हुआ है। आप चाहें तो रामायण का सुंदर कांड पढ़ लें। लेकिन राम यह मानने को तैयार ही नहीं था कि सीता इतने दिनों तक पवित्र रह सकती है। उसे न तो हनुमान की सच्चाई पर विश्वास था और न ही सीता के सतीत्व पर। वह रावण के पराक्रम को जानता था। उसे यकीन नहीं हुआ कि जिस रावण के राज में अप्सराएं पानी भरती हैं, वहां सीता का मन न मचला हो।
मामला केवल राम और सीता का ही नहीं है। आप कृष्ण को ही देख लें। रूक्मणि और सुभद्रा दोनों को जबरन भगाकर ले जाया गया। उनकी हालत अमृता प्रीतम के उपन्यास पिंजर के नायक जैसी नहीं थी। वे अपने-अपने राजमहल में थीं। कृष्ण ने रूक्मणि और अर्जुन ने सुभद्रा का अपहरण किया था। रूक्मणि और सुभद्रा यदि जीवित होतीं तो उनसे जरूर पूछता कि क्या आप दोनों को आपकी मर्जी से भगाकर ले जाया गया था? क्या कृष्ण और अर्जुन ने आपका बलात्कार नहीं किया था?
~ Via नवल किशोर कुमार
(लेखक के अपने निजी विचार हैं)
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