रोहिंग्या मुसलमानों पर मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसला, जानें अब क्या होगा ?
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने सोमवार को रोहिंग्या शरणार्थियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने 16 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया है. सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से कनेक्शन हैं. उन्हें किसी भी कीमत पर भारत में रहने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. वो हमारे देश के लिए खतरा हो सकते हैं. जी हां सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि रोहिंग्या शरणार्थी देश की सुरक्षा के लिए खतरा है. हलफनामे में सरकार ने अदालत में कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी देश में ग़ैरकानूनी हैं और उनका लगातार यहां रहना राष्ट्र की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा है. साथ ही हलफ़नामे में यह भी कहा गया है कि सिर्फ देश के नागरिकों को ही देश के किसी भी हिस्से में रहने का मौलिक अधिकार है और ग़ैरक़ानूनी शरणार्थी इस अधिकार के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं कर सकते.
वहीं हलफनामे के मुताबिक भारत में अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 40 हजार से अधिक हो गई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए इस मामले को 3 अक्टूबर तक टाल दिया है.
देश के लिए खतरनाक हैं रोहिंग्या – मोदी सरकार
मोदी सरकार ने अपने हलफनामे में अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की वजह से हो सकने वाली दिक्कतों के बारे में भी बताया है. सरकार ने कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी नॉर्थ ईस्ट कॉरिडोर की स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं. रोहिंग्या देश में रहने वाले बौद्ध नागरिकों के खिलाफ हिंसक कदम उठा सकते हैं. साथ ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय रोहिंग्या शरणार्थियों के आतंकी कनेक्शन होने की भी खुफिया सूचना मिली है.
गौरतलब है कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार में शुरू हुई सैन्य कार्रवाई की वजह से सैकड़ों-हजारों महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को अपने घर-बार छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है. रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में बीते कई दशकों से भेदभाव का सामना कर रहे हैं, जिसके कारण रोहिंग्या मुसलमान बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं. म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों की जनसंख्या 13 लाख बताई जाती है लेकिन दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया में इनकी संख्या 15 लाख है. साल 2013 में संयुक्त राष्ट्र ने रोहिंग्या मुस्लिमों को दुनिया का सबसे सताया हुआ अल्पसंख्यक समुदाय बताया था. वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने इसे नस्ली सफाए का उदाहरण तक भी बता दिया है.
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