रोहित वेमुला केस: मोदी सरकार ने जांच रिपोर्ट में बोला सबसे बड़ा झूठ!
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे रोहित वेमुला की मौत के बाद तमाम छात्र-छात्राओं और दलित वर्ग के लोगों ने बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया था, कॉलेज प्रशासन पर रोहित वेमुला के साथ जातिगत भेदभाव करने के आरोप लगाए थे, कहा जा रहा था कि कॉलेज में जातिगत भेदभाव के कारण रोहित वेमुला ने मौत को गले लगाया था, कहा तो यहां तक भी गया था कि रोहित वेमुला ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसका मर्डर किया गया है
मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी औऱ बीजेपी नेता बंडारु दत्तात्रेय की भी संदिग्ध भूमिका होने के आरोप लगाए गए थे, हाल ही में रोहित वेमुला मामले में जांच कर रही मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा बनाई गई न्यायिक कमेटी ने रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि रोहित वेमुला ने कॉलेज प्रशासन से तंग आकर नहीं बल्कि निजि परेशानियों की वजह से आत्महत्या की थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रोहित ने सुसाइड नोट में किसी को भी उसकी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है, सुसाइड नोट में कथित तौर पर रोहित ने यह भी लिखा है कि वह बचपन में अकेला रहता था औऱ उसे लोग कम काबिल समझते थे
रिपोर्ट में पूर्व एचारडी मिनिस्टर स्मृति ईऱानी और बीजेपी नेता बंडारु दत्तात्रेय को भी पाक साफ दिखाया गया है, कहा गया है कि दोनों बीजेपी नेताओं का रोहित मामले से कोई लेना देना नहीं था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रोहित वेमुला अगर कॉलेज प्रशासन के एक्शन से दुखी होता तो इस बात का जिक्र सुसाइड नोट में जरुर करता जबकि उसने ऐसा नहीं किया।
रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि रोहित दलित नहीं था, although, रोहित के सुसाइड नोट के बाद प्रदर्शन कर रहे संगठनों ने रोहित को दलित बताया था, बता दें हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित ने 17 जनवरी को 2016 को हॉस्टल के कमरे में सुसाइट कर लिया था।
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