सत्ता की हनक दिखाकर बीजेपी नेता पर बहुजन युवक की जमीन हड़पने का आरोप
नई दिल्ली। सत्ता के रसूख के सामने आम आदमी को इंसाफ मिलना कितना मुश्किल हो जाता है? इस लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश में अफसरशाही किस तरह नेताओं के सामने बेबस हो जाती है इन सवालों के जवाब छुपे हैं बिहार के मधुवनी जिले के रहने वाले बहुजन समाज के संजय महतों के मामले में.
इंसाफ के लिए बिहार से दिल्ली तक हर अधिकारी और मंत्री, नेताओं के दरवारों में चक्कर लगाते संजय महतो बताते हैं कि जब आम इंसान को उसका हक नहीं मिल सकता तो क्या मतलब है ऐसी सरकार और सिस्टम का.
दरअसल बिहार सरकार ने 2009 में भूमीहीन लोगों को 3 डेसीमल जमीन देने के लिए एक योजना चलाई थी. उसी के तहत संजय महतों को भी 3 डेसीमल जमीन का प्रस्ताव किया गया था.
संजय महतों बतातें है कि जिस जगह जमीन का प्रस्ताव हुआ वो उनके मुताबिक उचित स्थान नहीं था जिसके लिए उन्होंने मधुवनी जिले आंचलअधिकारी को एक पत्र लिखकर दूसरी जगह जमीन का प्रस्ताव करने का निवेदन किया.
लंबे वक्त के बाद भी जब मामले में कोई जानकारी नहीं मिली तो संजय ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी जिसमें पता लगा कि उनके नाम से प्रस्तावित जमीन का प्रपत्र ही गायब हो गया.
जब अधिकारियों से इस संबंध में पूछा तो उन्होंने कार्रवाई का अश्वासन देकर वापस भेज दिया. लेकिन काफी वक्त बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई. संजय का आरोप है कि स्थानीय बीजेपी पार्षद मोहम्मद रिजाउद्दीन ने उस जमीन पर कब्जा कर रखा है. जब संजय बीजेपी नेता के खिलाफ कहीं शिकायत करते हैं तो वो उसे जान से मारने की धमकी देता है. और अधिकारियों को सत्ता की हनक दिखाकर कार्रवाई को रुकवा देता है.
पिछले सात सालों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे संजय महतों का कहना है हर जगह जा रहा हूं लेकिन झूठे अश्वासानों के सिवा कुछ नहीं मिल रहा है.
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