सबका-साथ, सबका-विकास वाली मोदी सरकार कब सुनेंगी तमिलनाडू के किसानों की गुहार ?
नई दिल्ली। करीब 2 महिने से तमिलनाडू के किसान दिल्ली के जंतर-मंतर पर नग्न अवस्था मे अपनी मांगो को लेकर अनशन पर बैठे हैं, इन किसानों के साथ कुछ महिलाएं भी है. लेकिन सरकार अपनी किसान विरोधी रवैये पर कायम है! किसान तरह-तरह से प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर कर रहे हैं. महिलाएं अपने हाथों में जंजीर डालकर पीएम मोदी के खिलाफ नारेबाजी कर रही हैं.
किसान जिस हालत मे वहां प्रदर्शन कर रहे हैं वो दृष्य बहुत ही भयावह है, किसान अपने साथ तमिलनाडू से कुछ कंकाल भी लाये हैं जिसमे मनुष्य के शरीर की हड्डियाँ हैं, जिनको वो सरकार के किसान विरोधी रवैये के कारण आत्महत्या किये किसानो की बता रहे हैं, किसानों का कहना है कि पिछले 4 से 5 महीनों के बीच 400 से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है, इस आँकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसानों की हालत कितनी नाजुक है।
इससे पहले भी किसान जंतर-मंतर पर 40 दिन तक इसी तरह बिना कपड़े के जमीन पर खाना खा कर प्रदर्शन कर चुके हैं. इतना ही नहीं किसानो ने संसद भवन के सामने मलमूत्र पीकर और चूहा खा कर तक प्रदर्शन किया था. जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री ने उनकी मांग पूरी करने का भरोसा दिलाया था. सरकार के अश्वासन के बाद किसान प्रदर्शन खत्म कर वापस तमिलनाडू लौट गये थे लेकिन सरकार ने उनकी मांगो को पूरा नहीं किया, जिसकी वजह से वो फिर दिल्ली आने पर मजबूर हो गए।
इन किसानों की मांग है कि उनके क़र्ज़ माफ़ किए जाएं, फ़सलों का उचित मूल्य दिया जाए, उन्हें सूखा राहत पैकेज दिया जाए और सिंचाई से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए कावेरी प्रबंधन बोर्ड का गठन किया जाए. 60 साल से अधिक उम्र वाले किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था हो.
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