सभ्य समाज का असभ्य चेहरा, जातिगत भेदभाव के चलते छात्रा का नाम स्कूल से काटा!
सभ्य समाज होने का दावा करने वाले भारतीय समाज में आजादी के 70 सालों के बाद भी ऊंच-नीच की खाई पटने का नाम नहीं ले रही हैं. भेदभाव का यह दंश बहुजन समाज को हर जगह झेलना पड़ता है. चाहे वो स्कूल, कॉलेज हो या फिर सोसायटी में. बहुजनों के साथ भेदभाव की खबरें आए दिन आती रहती हैं. ताजा मामला बानारस का सामने आया है.
मारुफपुर में एक मान्यता प्राप्त स्कूल में छठवीं कक्षा की बहुजन छात्रा का जातिगत भेदभाव के चलते नाम काट दिया गया. इससे पहले आरोप है कि बहुजन छात्रा से मिड-डे-मिल खाने के लिए अलग बर्तन मंगाया जाता था. बाद में स्कूल का माहौल खराब होने की बात कहकर उससे स्कूल आने से इनकार कर दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छात्रा के पिता के अनुसार दो माह पूर्व स्कूल के प्रधानाचार्य ने उनकी बेटी को मिड-डे-मिल के लिए अलग स बर्तन लाने के लिए कहा था. दस दिन पहले वो स्कूल गई तो उसे भगा दिया गया. पूछने पर प्राधानाचार्य ने कहा कि उसकी लड़की के स्कूल आने से माहौल खराब हो रहा है. उसके किताब, कॉपी उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन स्कूल नहीं आएगी और घर बैठकर ही पढ़ाई करेगी.
इस संबंध में उसने चाइल्ड लाइन से शिकायत की, चाइल्ड लाइन के सदस्यों ने आकर पूछताछ की और कार्रवाई का अश्वासन दिया गया लेकिन छात्रा को स्कूल में नहीं लिया गया।
वहीं स्कूल के प्राधानाध्यापक ने कहा कि आरोप बेबुनियाद है. छात्रा का नाम नहीं काटा गया है और न ही छात्रा को स्कूल आने से इनकार किया गया है. जबकि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भोलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अभी तक मामले में लिखित शिकायत नहीं मिली है.
जानकारी के आधार पर खंड शिक्षा अधिकारी चहनियां को प्रधानाध्यापक को नोटिस जारी कर मामले में स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया गया है।
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