सृजन घोटाला: मिलिए सरकारी खजाने को लूटकर अरबपति बनने वाली मनोरमा देवी से
पटना। मनोरमा देवी सरकारी खजाने को लूटकर महज 10 साल में अरबपति बन गई और बिहार के सीएम नीतीश कुमार देखते रहे. जी हां हम बात कर रहे हैं बिहार के चर्चित घोटाले ‘सृजन घोटाला’ की. सरकारी खजाने की लूट के इस खेल में जहां मनोरमा देवी अरबपति बन गई वहीं भागलपुर की गलियों में धूल फांकने वाले कई बीजेपी के छुटभैया नेता और सरकारी अफसर भी करोड़पति बन गए.
कौन है मनोरमा देवी
साल 1993-94 में मनोरमा देवी ने दो महिलाओं के साथ सृजन संस्था की शुरुआत की. सृजन संस्था का पूरा नाम ‘सृजन महिला विकास सहयोग समिति’ है. मनोरमा देवी ने साल 1993-94 में भागलपुर के सबौर में किराये का एक कमरा लिया. उन्हें सुनीता और सरिता नाम की दो महिलाओं का सहयोग मिला. मनोरमा देवी ने एक सिलाई मशीन लेकर कपड़ा सिलने का काम शुरू किया. फिर सिलाई-कढ़ाई सिखाने के साथ पापड़, चरौरी, दनौरी, तिलौड़ी बेचने वाली मनोरमा देवी देखते ही देखते महज 10 साल में अरबपति बन गई.
सृजन संस्था के दफ्तर की दीवारों पर चस्पा फोटो देख सारा खेल आप खुद ही समझ जाएंगे. सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी समेत कई वीआईपीज़ के साथ मनोरमा देवी ने अपनी खिंची तस्वीरें लगा रखी है. इन तस्वीरों में नीतीश कुमार, सुशील मोदी समेत सभी वीआईपीज़ बड़े सलीके से मनोरमा देवी के साथ पोज देते हुए नजर आ रहे हैं.
फोटो खिंचवाने वाले नेताओं की फेहरिस्त में नीतीश कुमार का चेहरा भी शामिल है. इसके अलावा डिप्टी सीएम सुशील मोदी, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और शाहनवाज हुसैन का भी चेहरा देखा जा सकता है. अब यही नेता कह रहे हैं कि उन्हें करोड़ों के सृजन घोटाले के बारे में कुछ जानकारी ही नहीं थी. वहीं खुद नीतीश कुमार साल 2008 में मनोरमा देवी को सम्मानित करने के लिए पटना में आयाजित एक समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे. नीतीश कुमार अब कह रहे हैं कि इस कार्यक्रम में शामिल होने का उन्हें बेहद अफसोस है.
2008 से ही हो रहा था घोटाला
सृजन में घोटाले का खेल साल 2008 से शुरू हुआ. तब बिहार में जेडीयू-बीजेपी की सरकार थी. वित्त मंत्रालय का पद सुशील कुमार मोदी के पास था. साल 2008 में ही ऑडिटर ने सृजन में गड़बड़ी पकड़ ली थी. तब ऑडिटर ने आपत्ति जतायी थी कि सरकार का पैसा को-ऑपरेटिव बैंक में कैसे जमा हो रहा है? इसके बावजूद सरकार का पैसा को-ऑपरेटिव बैंक में जमा होता रहा. इसके बाद 25 जुलाई, 2013 को भारतीय रिजर्व बैंक ने बिहार सरकार से कहा था कि सृजन को-ऑपरेटिव बैंक की गतिविधियों की जांच करें. बहरहाल मनोरमा देवी जो इस पूरे गोरखधंधे की मास्टरमाइंड थी, उसकी मृत्यु इसी साल फरवरी महीने में हो चुकी है.
अरजेडी के जगदानंद सिंह ने किया था खुलासा
आरजेडी के सीनियर लीडर जगदानंद सिंह का आरोप है कि ‘सृजन स्कैम जिस समय हुआ है तब राज्य के सीएम और वित मंत्री नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी थे. इन दोनों की जानकारी से ही इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया है.
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