Home Language Hindi सैकड़ों लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया था पुलिस ने: नानावती आयोग
Hindi - Political - Politics - Social - December 12, 2019

सैकड़ों लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया था पुलिस ने: नानावती आयोग

गुजरात में वर्ष 2002 के दंगों की जांच करने वाले नानावती आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के कुछ धड़ों के बीच पनपी नफरत की गहरी जड़ों की वजह से गुजरात में दंगे हुए। आयोग ने ऐसी भावनाओं को खत्म करने के लिए लोगों को बड़े पैमाने पर जागरूक करने की सिफारिश की है। दंगों के दौरान अहमदाबाद में हुई घटनाओं पर अपनी रिपोर्ट में न्यायमूर्ति जीटी नानावती आयोग ने तीन पूर्व आईपीएस अधिकारियों द्वारा प्रदान किए गए सबूतों का मजाक उड़ाया। खासकर जो रिपोर्ट गुलबर्ग सोसाइटी और नरोदा पाटिया नरसंहारों से संबंधित थी।

यह रिपोर्ट तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त (JCP) एम के टंडन की भूमिका की ओर इशारा करती है। इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हिंसा के ठीक पहले नरोदा पाटिया और गुलबर्ग सोसाइटी क्षेत्रों से पुलिस बल हटा लिया जो उसके अधिकार क्षेत्र में थे और हत्याओं के बाद वापस लौटे। 28 फरवरी, 2002 को नरोदा पाटिया में कुल 97 लोग मारे गए थे। जिसमें मरने वाला एक हिंदू था। जबकि गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी सहित 44 व्यक्ति मारे गए थे। जिसमें 39 मुस्लिम और 4 हिंदू थे।

आयोग ने तीन पूर्व आईपीएस अधिकारियों संजीव भट्ट, राहुल शर्मा और आर बी श्रीकुमार की विश्वासनीयता पर भी सवाल उठाए जिन्होंने आरोप लगाया था कि दंगों में राज्य सरकार की भूमिका थी। आयोग ने कहा कि सबूतों को बारीकी से खंगालने के बाद यह कहना संभव नहीं है कि पुलिस की ओर से कोई लापरवाही बरती गई थी। हालांकि, यह काफी जरूरी था कि राज्य के पास अनुशासित पुलिस बल होना चाहिए था जो यह सुनिश्चित करता कि समाज का सामंजस्य एवं शांति भंग न हो।
रिपोर्ट में कहा गया है, “साम्प्रदायिक दंगों के दौरान हुई घटनाओं के संबंध में सबूतों पर विचार करते हुए हमने पाया कि पुलिस की गैर मौजूदगी तथा उनके पर्याप्त संख्या में न होने से भीड़ का हिंसा करने के लिए हौसला बढ़ा।” आयोग ने अहमदाबाद शहर में साम्प्रदायिक दंगों की कुछ घटनाओं पर कहा, “पुलिस ने दंगों को नियंत्रित करने में सामर्थ्य, तत्परता नहीं दिखाई जो आवश्यक था।” नानावती आयोग ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच या कार्रवाई रोक दी थी।

(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुकट्विटर और यू-ट्यूब पर जुड़ सकते हैं.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

Remembering Maulana Azad and his death anniversary

Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…