ऐसे ढ़ोंगी बाबाओं को लेकर हम कब करेंगे इस तरह चिंतन ?
Discussion. देश मे व्यक्तिपूजक आस्थावादी, व्यक्तिवादी नेतृत्व और व्यक्तिवादी चरित्र के कारण ही समाज मे गंदा वातावरण का निर्माण हो रहा हैं। इसी कारण से वह इस चरित्र का व्यक्ति इसका फायदा उठाता है, वो अपने अपने आपको कहता है कि मैं ही आपका दुख निवारक हूं, मैं ही सब कुछ हूं, मैं ही आपका कल्याण कर सकता हूं. इस तरह वह अपने आपको एक सर्व शक्तिशाली, सर्व शक्तिमान स्थापित करता हैं और इस कार्य के लिए अंधभक्त, कमजोर दिमाग, मूर्ख और अल्पसंतुष्ट लोग उसका सहयोग करते है। ये सिर्फ धार्मिक क्षेत्र में ही नही अपितु अन्य क्षेत्र में भी हमको जानने समझने की जरूरत हैं कि किस तरह व्यक्तिवाद फैल रहा है।
जब तक चाहे धार्मिक क्षेत्र का बाबा हो या राजनीतिक क्षेत्र का बाबा हो या सामाजिक क्षेत्र का बाबा हो या फिर आर्थिक क्षेत्र का बाबा हो, समाज मे रहेंगे तब तक अनेक समस्याएं बनी रहेंगी। और ये लोग इसका फायदा लेते रहेंगे. जिससे एक आदर्श समाज का निर्माण नही हो पायेगा। नव राष्ट्र, प्रबुद्ध भारत का निर्माण नही हो पायेगा।
आज हम अपने आस पास नजर उठाकर देखेंगे तो आसाराम और राम रहीम के अलावा अनेक व्यक्तिवादी चरित्र के धार्मिक बाबा और राजनीतिक नेता दिखाई देंगे जो अपने व्यक्तिगत हित और स्वार्थ के लिये लोगो को भृमित करते है। और लोग भी उसी चरित्र के होने के कारण उसके अलोकतांत्रिक कार्य को आगे बढ़ाने में मर मिटने के लिये तैयार हो जाते हैं। फिर उसका परिणाम कुछ दिन बाद देखने को मिलता है। और जब हमलको इनकी असलियत का एहसास होता है तब तक हम बहुत लेट हो जाते हैं।
आज हम वाट्सअप, फ़ेसबुक, सोशल मीडिया पर व्यक्तिपूजक धार्मिक बाबा पर बहुत चर्चा करते है। लेकिन हम राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्र के व्यक्तिपूजक चरित्र के नेता, बाबा पर चर्चा क्यो नही करते। इस पर भी हमे चिंतन, मनन करना चाहिए जिससे इनकी दुकानदारी बंद हो सके और समाज को इस दलदल में जाने से रोक जा सके।
लेखक- मनीषा बांगर, उपाध्यक्ष, वामसेफ
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