ब्राह्मणवादी शक्तियां विश्वविद्यालय में प्रतिनिधित्व से बहुत ज़्यादा परेशान क्यों हैं?
Published by- Aqil Raza
By- रमाशंकर ~
IAS/IPS/MP/MLA में आरक्षण से ब्राह्मणवादी शक्तियां कम परेशान है लेकिन… शिक्षा में..विश्वविद्यालय में.. बहुजनों के प्रतिनिधित्व से बहुत परेशान है,
क्योंकि…
यहां से मूलनिवासी बहुजन आंदोलन को खुराक मिलती है, ताकत मिलती है… ब्राह्मणवादी शक्तिया का शिक्षण संस्थाओं पर सदियों से नियंत्रण कायम है और इसी नियंत्रण के आधार पर वह मूलनिवासी बहुजन समाज के मन मस्तिक पर नियंत्रण करती हैं।
उन्हें लगता है कि… यहां से… अर्थात शिक्षा से नियंत्रण हट जाएगा तो फिर वो समाज को नियंत्रित नहीं कर पाएगी जो कि एक सत्य भी है।
वैसे देखा जाय तो, शिक्षा में, विश्वविद्यालय में, मूलनिवासी बहुजनो का अति अल्प प्रतिनिधित्व होने के बावजूद भी पिछले 20 वर्षों में,
इन्ही शिक्षा के क्षेत्र से..विश्वविद्यालयों से.. मूलनिवासी बहुजन आंदोलन को ढेर सारा इनपुट मिला हैं। मूलनिवासी बहुजन आंदोलन का सशक्तिकरण हुआ है।
बहुत सारे लोग रिसर्च में इन्वॉल्व हैं जहां से मूलनिवासी बहुजन महापुरुषों पर बहुत सारी रिसर्च हो रही है और रेडीमेड मैट्रियल आंदोलन चलाने वाले लोगों को मिल रहा है।
इसलिए, ब्राह्मणवादी शक्तियां इससे बहुत भयभीत हैं और किसी भी तरह से विश्वविद्यालय के अंदर मूलनिवासी बहुजन के बढ़ते प्रभाव को रोकना चाहती हैं।
और दूसरी तरफ, अफसोस इस बात का है कि मूलनिवासी बहुजन समाज की ढेर सारी राजनीतिक पार्टियां भी नहीं चाहती हैं कि अपने समाज में इंटेलेक्चुअल पैदा हों ।
वे नहीं चाहती हैं कि मूलनिवासी बहुजन समाज तर्क के आधार पर विज्ञान के आधार पर लोकतंत्र के आधार पर चिंतन करें और उनसे सवाल खड़ा करें जिससे उनके एकाधिकार को चुनौती मिल सके।
इसलिए मूलनिवासी बहुजन समाज की ढेर सारी राजनीतिक पार्टियां विश्वविद्यालय में भागीदारी के मुद्दे पर समर्थन में नहीं आ रही हैं और मौन साधे हैं।
~ रमाशंकर
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