2000 करोड़ संपत्ति मामले में आई टी के निशाने पर गांधी परिवार
आयकर विभाग की ओर से यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को जारी किए गए 24 पन्नों के नोटिस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को 2 हज़ार करोड़ संपत्ति सौदे में असली लाभार्थी बताया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट के वाईआई कंपनी और उसके डायरेक्टरों के खिलाफ आयकर जांच पर रोक के प्रस्ताव को नामंज़ूर करने के बाद मामले में राजनीति भी जमकर हो रही है. केवल सेनिया और राहुल गांधी ही नहीं, आयकर विभाग ने प्रियंका गांधी वाड्रा को भी इस नोटिस में शामिल किया है. जनवरी 10, 2017 को जारी इस नोटिस में दावा किया गया है कि वाईआई कंपनी जिसमें सोनिया और राहुल गांधी के पास सर्वाधिक कंपनी शेयर थे उसमें प्रियंका गांधी ने इस बात को सुनिश्चित किया कि कंपनी के सौ फीसदी शोयर उनके कब्ज़े में आ जाए. आई-टी एक्ट के सेक्शन 148 के तहत वित्त वर्ष 2010-11 के लिए वाईआई के पुनर्मूल्यांकन से खुलासा हुआ कि टैक्स बचाने के लिए झूठे ट्रांजेक्शन्स और गुमराह करने वाले आंकड़े पेश किए गए.
2000 करोड़ संपत्ति मामले में आईटी के निशाने पर सोनिया, राहुल के साथ प्रियंका गांधी भीआशीष खेतान को मिली जान से मारने की धमकीपाकिस्तान का अड़ियल रुख दक्षिण एशिया में शांति के लिए गंभीर चुनौती: गडकरीबजरंग बली की शरण में पहुंचे कपिल, बोले- केजरीवाल को कुर्सी से उखाड़ फेंकूंगाचीन के ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ में भाग नहीं लेगा भारत 2000 करोड़ संपत्ति मामले में आईटी के निशाने पर सोनिया, राहुल के साथ प्रियंका गांधी भी आयकर विभाग की ओर से यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को जारी किए गए 24 पन्नों के नोटिस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को 2 हज़ार करोड़ संपत्ति सौदे में असली लाभार्थी बताया गया है. आयकर विभाग की ओर से यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को जारी किए गए 24 पन्नों के नोटिस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को 2 हज़ार करोड़ संपत्ति सौदे में असली लाभार्थी बताया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट के वाईआई कंपनी और उसके डायरेक्टरों के खिलाफ आयकर जांच पर रोक के प्रस्ताव को नामंज़ूर करने के बाद मामले में राजनीति भी जमकर हो रही है.
केवल सेनिया और राहुल गांधी ही नहीं, आयकर विभाग ने प्रियंका गांधी वाड्रा को भी इस नोटिस में शामिल किया है. जनवरी 10, 2017 को जारी इस नोटिस में दावा किया गया है कि वाईआई कंपनी जिसमें सोनिया और राहुल गांधी के पास सर्वाधिक कंपनी शेयर थे उसमें प्रियंका गांधी ने इस बात को सुनिश्चित किया कि कंपनी के सौ फीसदी शोयर उनके कब्ज़े में आ जाए. आई-टी एक्ट के सेक्शन 148 के तहत वित्त वर्ष 2010-11 के लिए वाईआई के पुनर्मूल्यांकन से खुलासा हुआ कि टैक्स बचाने के लिए झूठे ट्रांजेक्शन्स और गुमराह करने वाले आंकड़े पेश किए गए. वाईआई को नॉन प्रॉफिट कंपनी के तौर पर पेश करते हुए इसके उद्देश्य को लोकतंत्र और सामाजिक एकता के लिए काम करने वाले नौजवानों के संगठन के रूप में पेश किया गया. आयकर विभाग के नोटिस में कंपनी के कई सारे लेनदेन के दौरान उठाए गए कदम पर सवाल खड़े किए गए हैं जिससे एसोसिएटेड जरनल लिमिटेड, जो कभी द नेशनल हेराल्ड अख़बार का पब्लिशर था, उसके 2 हज़ार करोड़ की संपत्ति का नियंत्रण सोनिया और राहुल गांधी और वाईआई के डायरेक्टरों के पास चली गई. कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और सैम पित्रोदा जिन्हें नेहरू-गांधी परिवार का गरीबी माना जाता है, उन्हें वाईआई के डायरेक्टरों के तौर पर दिखाया गया है. आयकर विभाग ने पाया कि लेनदेन की पूरी प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों में एक समानता थी. ये सभी या तो कांग्रेस, एसोसिएटेड जरनल लिमिटेड या वाईआई से जुड़े थे. इसके साथ ये भी कहा गया कि जिस तेज़ी से एजेएल की देशभर के प्राइम लोकेशन्स में संपत्ति को वाईआई ने महज़ 50 लाख़ रुपये में हासिल किया वो संभव इसलिए हुआ क्योंकि इस लेनदेन में शामिल सभी पार्टियों के पदाधिकारी एक दूसरे से जुड़े थे. प्रियंका गांधी की भूमिका पर आयकर विभाग ने दावा किया कि वाईआई द्वारा एजेएल के सभी शेयरों को लेने के लिए सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी ने अतिरिक्त एजेएल के 47513 और 26244 शेयर रतन दीप ट्रस्ट और जनहित निधि ट्रस्ट के ज़रिए खरीदे.
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