26 नवंबर को मूलनिवासी संघ मनाएगा मूलनिवासी अधिकार दिवस
नई दिल्ली। मूल निवासी संघ ने 26 नवंबर यानी संविधान दिवस को मूलनिवासी अधिकार दिवस के तौर पर मनाने का एलान किया है. पूरे देश भर से तकरीबन 10 लाख से ज्यादा लोग इस मुहिम से जुड़ेंगे। मूलनिवासी अधिकार दिवस पर संविधान से जुड़े लोगों के अधिकार पर चर्चा होगी और आम आदमी को उसके अधिकारों के प्रति जागरुक किया जाएगा। इसके अलावा जिन चीजों में सरकार संविधान को लागू नहीं कर रही उसको लेकर सरकार से संविधान को सही तरीके से अमल में लाने की अपील की जाएगी।
संविधान के अमल से रक्त विहीन क्रांती का होना तय!
भारत का संविधान एक ऐसा दस्तावेज है कि इसके माध्यम से इस देश में रक्त विहीन क्रांति का होना तय है। इसके आंशिक अमल से ही जो सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तन इस देश में आया है वह गौर करने लायक है। यद्दपि कि अभी इस परिवर्तन की मात्रा कम दिखाई पड़ती है पर प्रभाव क्रन्तिकारी है।
अतः इसके दूरगामी परिणामों से भयभीत होकर ब्राह्मणवादी ताकते षड़यंत्र पूर्ण तरीके से संविधान, संवैधानिक संस्थायें एवं इसके धर्मनिपेक्ष और प्रतिनिधित्व के ढांचे को तहस नहस करने में लगी हुयी है। इस देश में ब्राह्मणवादी ताकते प्रति दिन संविधान विरोधी गतिविधिया एवं संविधान विरोधी दुष्प्रचार करती रहती है। पुरे दुनिया में क्रांति का मतलब है संविधान को उखाड़ फेकना पर भारत में क्रांति का मतलब है संविधान को उसकी मूल मंशा के अनुसार लागू करना।
संविधान भले श्रमण संस्कृति को सपोर्ट करता है लेकिन इसको लागू करने वाले सत्ता संचालन के सभी केन्द्रों पर ब्राह्मण संस्कृति के लोगो ने कब्ज़ा कर रखा है इसलिए हमें अर्थात मूलनिवासी बहुजन समाज को सत्ता संचालन के सभी केन्द्रों पर कब्ज़ा करना होगा, तभी संविधान को उसकी मूल मंशा के अनुसार लागू कर पायेंगे और सामाजिक एवं आर्थिक गैर-बराबरी समाप्त कर समतामूलक समाज की स्थापना कर पाएंगे। संविधान को उसकी मूलभावना में लागू करने के लिए जनमत निर्माण के लिए यह विषय चर्चा के लिए रखा गया है।
The Rampant Cases of Untouchability and Caste Discrimination
The murder of a child belonging to the scheduled caste community in Saraswati Vidya Mandir…