अली अनवर को टिकेट दिलवाने के लिए पसमांदा मुस्लिम समाज ने भरी हुंकार
Published by- Aqil Raza
By- अभिजीत आनंद
बिहार में पसमांदा मुस्लिम समाज राजनीतिक पार्टियों द्वारा टिकेट वितरण में नज़रंदाज़ किये जाने पर बेहद नाराज़ है. इस सन्दर्भ में समाजशास्त्री प्रो. खालिद अनीस अंसारी ने 23 मार्च को change.org पर एक ऑनलाइन पेटीशन आरंभ की जिसमे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पार्टी से पसमांदा नायक श्री अली अनवर अंसारी के लिए मधुबनी लोक सभा सीट देने की मांग की गयी है. पेटीशन में राजद के ऊपर हमेशा अगड़े मुसलमानों को टिकेट वितरण में तरजीह देने का इलज़ाम लगाया गया है. इस के साथ ही राजद लीडरशिप को सचेत किया गया है कि इस लोक सभा चुनाव में टिकेट वितरण में पसमांदा (दलित और पिछड़े) मुसलमान—जो कि बिहारी मुसलमानों की कुल आबादी का लगभग 85 फीसद होते हैं—को उनकी उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए. पेटीशन के अनुसार श्री अली अनवर “सेकुलरिज्म और सामाजिक न्याय के ज़मीनी योद्धा हैं और पसमांदा मुसलमानों की शान हैं. अगर उनको टिकेट मिलता है तो पूरे पसमांदा समाज की हौसला अफजाई होगी और सामाजिक न्याय की राजनीति मज़बूत होगी”.
गौरतलब है कि इस मांग को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है. पसमांदा मुसलमानों के अतिरिक्त कई बुद्धिजीवियों और सोशल एक्टिविस्ट्स ने ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान में भागीदारी की है. पेटीशन के समर्थन में उतरे कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं: प्रो चौथी राम यादव (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी), डॉ हिलाल अहमद (सी. एस. डी. एस. दिल्ली), दिलीप सी. मंडल (सीनियर पत्रकार एवं चिंतक), डॉ रतन लाल (हिन्दू कॉलेज), डॉ सुमीत महास्कर (ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी), कुफ्फीर नाल्गुन्द्वार (एडिटर राउंड टेबल इंडिया), शादान फ़रासत (अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट), अशोक चौधरी (सोशल एक्टिविस्ट), डॉ संतोष कुमार राय (दिल्ली यूनिवर्सिटी), एस. अनवर (सोशल फिल्ममेकर, चेन्नई), समरेन्द्र दास (सोशल एक्टिविस्ट, यूनाइटेड किंगडम), प्रो निशात कैसर (जामिया मिल्लिया इस्लामिया), दिव्या कान्दुक्करी (पत्रकार), अनु रामदास (लेखिका, अमेरिका), नोएल दिडला (सोशल एक्टिविस्ट, अमेरिका).
हाजी निसार अहमद, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पसमांदा मुस्लिम महाज़ का कहना है कि उन्होंने पेटीशन की कॉपी राजद की शीर्ष लीडरशिप—ख़ास तौर पर श्री तेजश्वी प्रसाद यादव और प्रो. मनोज कुमार झा—तक पहुंचा दी है और वह उचित निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं. वहीँ नाहीद अकील, जो की पसमांदा मुस्लिम महाज़ की महिला विंग की अध्यक्ष हैं, कहती हैं: “अगर अली अनवर साहब को राजद मधुबनी से टिकेट नहीं देती है तो यह देश की पसमांदा समुदाय के साथ छल होगा. श्री तेजश्वी यादव को यह ख़याल रखना चाहिए कि जब नितीश कुमार ने पलटी मार के भाजपा का हाथ पकड़ा था तो वह सबसे पहले अली अनवर ही थे जिन्होंने जदयू के अन्दर से प्रतिरोध की आवाज़ बुलंद की थी और उसकी कीमत भी उन्होंने राज्य सभा से निष्काशन के रूप में चुकाई”. पसमांदा एक्टिविस्ट नाज़ खैर का मानना है: ‘अली अनवर और शरद यादव दोनों ने जेडीयू छोड़ा और राज्य सभा की कुर्बानी दी. फिर सिर्फ अली अनवर के साथ राजद का अलग व्यवहार क्यों? यह जातिवाद नहीं तो क्या है? यह कैसा सामाजिक न्याय है?”
कुछ स्रोतों से पता चला है कि राजद अली अनवर को मधुबनी से टिकेट देने का मन बना रही है और इस सन्दर्भ में श्री तेजश्वी यादव ने अली अनवर से फ़ोन पर बात-चीत भी की है. हालाँकि युवा पसमांदा एक्टिविस्ट अब्दुल्लाह मंसूर (लेनिन मौदूदी) का कहना है कि ‘राजनीति में कुछ भी हो सकता है इस लिए हम लोग लगातार दबाव बनाए हुए हैं. कई युवा सोशल मीडिया एक्टिविस्ट लगातार व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर पर सक्रिय हैं और विडियो अपील भी जारी कर रहे हैं. एक-दो दिन में अगर कुछ नहीं होता तो जल्दी ही एक डेलीगेशन पटना जा कर श्री तेजश्वी यादव से मिलेगा और प्रेस कांफ्रेंस करेगा”.
~अभिजीत आनंद
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