अरुंधती रॉय बोलले- छान करण्यासाठी चला तर त्यांना रंगविलेली मेंढ्याची कातडी-बॅज 'आपले नाव' आणि पत्ता 'पंतप्रधान हाऊस' द्या
मशहूर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्रों का साथ देने पहुंची। अरुंधति ने इस दौरान छात्रों से कहा कि, “एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है। एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला बताइए। अपने घर का पता देने के बजाए प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवाएं।”
अरुंधति रॉय ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, देश में डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर सरकार झूठ बोल रही है। सरकार एनआरसी और डिटेंशन कैम्प के मुद्दे पर झूठ बोल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस विषय पर देश के सामने गलत तथ्य पेश किए हैं। जब कॉलेजों में पढने वाले छात्र सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं तो इन छात्रों को अर्बन नक्सल कह दिया जाता है। दलित आवाज उठाते हैं तो उन्हें नक्सली कह दिया जाता है।
रॉय ने मोदी सरकार पर पूर्वोत्तर के राज्यों का हवाला देते हुए तंज किया। उन्होंने कहा, नार्थ-इस्ट में जब बाढ़ आती है तो मां अप्पने बच्चों को बचाने से पहले अपने नागरिकता के साथ दस्तावेजों को बचाती है। क्योंकि उसे मालूम है कि अगर कागज बाढ़ में बह गए तो फिर उसका भी यहां रहना मुश्किल हो जाएगा।
इस कार्यक्रम में भारी तादात में दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं जुटे। अभिनेता जीशान अयूब, वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण कुमार भी इस दौरान मौजूद रहे। अरुण कुमार ने छात्रों से कहा कि, सरकार से शिक्षा और रोजगार को लेकर प्रश्न पूछें। देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा चुकी है, विकास दर 4.5 फीसदी बभी नहीं बचा और इसी तथ्य को छुपाने के लिए ऐसे कानून लाये जा रहे हैं।
अरुण कुमार ने छात्रों से आगे कहा, “केवल संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले 6 प्रतिशत लोग सरकार की गिनती में हैं। असंगठित क्षेत्र में रोजगार की भारी कमी है। घटते रोजगार से ध्यान बांटने के लिए सरकार एनआरसी जैसे कानून का सहारा ले रही है ताकि लोग अर्थव्यवस्था की बात छोड़ धर्म के नाम पर नए विवाद में फंस जाएं।”
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