आखिर क्यों बढ़ती जा रही देश में बहुजन उत्पीड़न की फहरिस्त?
By- Aqil Raza
बहुजन समाज पर लगातार एक के बाद एक जुल्म की खबरें आ रही हैं..बहुजन समाज पर हो रहे अत्याचारों की फेहरिस्त काफी लंबी है…एक ऐसे समय में जब पीएम मोदी बहुजन समाज को अपना बताते हैं और सीएम योगी बहुजनों के घर खाना खाकर समाज से जातीय भेदभाव खत्म करने का दम भरते हैं, और प्रेम जता रहे हैं। यह और बात है कि इसे कुछ लोग ढ़ोंग करार दे रहे हैं।
यूपी कैबिनेट के तमाम मंत्री भी बहुजनों के हित की बातें कर रहे हैं लेकिन बावजदू इसके यूपी में बहुजन उत्पीड़न की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. घटनांए भी ऐसी जिनसे पूरी इंसानियत ही शर्मशार हो जाए।
ताजा मामला कासगंज और बदायूं का है. एक तरफ कासगंज में जहां एक सफाईकर्मी को गोली मार दी गई है तो दूसरी तरफ बदायूं में एक बहुजन को पेशाब पिलाने का मामला सामने आया है। अब आप देखिए ये ऐसी घटनांए हैं जिन्हें सुनकर हमारे होश फाख्ता हो जाते हैं…अफसोस इस बात का है कि सत्ता में बैठे नेताओं को बहुजनों में बड़ा वोट बैंक तो नजर आता है लेकिन उनकी पीड़ा नज़र नहीं आती है।
जानकारी के मुताबिक कासंगज कोतवाली इलाके में बहुजन समाज के सफाईकर्मी सोनू को रिंकू ठाकुर नाम के दबंग ने गोली मार दी. घायल सफाई कर्मी अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। बताया जा रहा है कि सफाई को लेकर दोनों के बीच विवाद हो गया था. घटना से गुस्साए सफाईकर्मियों ने कोतवाली को घेर लिया और जम कर हंगामा किया. गुस्साए लोगों ने बिलराम गेट चौराहे पर जाम भी लगा दिया.
भीड़ ने जमकर हंगामा काटा और आरोपी को सामने लाने पर अड़ गये। कुछ सफाई कर्मियों ने कूड़ा करकट कोतवाल के बाहर डाल दिया। अफसरों ने सतर्कता बरतने के लिए पूरे शहर में पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई। सुरक्षा कर्मियों की गाड़ियां आसपास की सड़कों पर गश्त कराने लगी। इस मामले में पुलिस ने आरोपी रिंकू ठाकुर को गिरफ्तार करने की जानकारी देकर लोगों को शांत किया। वहीं सफाई कर्मचारी नेताओं ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी और घायल को मुआवजा नहीं मिलने तक सफाई के काम की हड़ताल करने का ऐलान कर दिया।
हड़ताल का ऐलान भले ही कर दिया हो लेकिन ये हड़ताल कब तक की जाएगी.. क्योंकि बहुजन समाज के खिलाफ हो रही घटनांए तो लगातार हो रही हैं…सवाल ये है कि इसपर सरकार क्यों संज्ञान नहीं ले रही है। क्यों ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है ताकि बहुजनों पर हो रहे जुल्म पर लगाम लगे।
वहीं बदांयू में वाल्मीकि समाज के एक शख्स ने गांव के ही 5 लोगों पर मारपीट, जाति सूचक गालियां देने और जूते में पेशाब पिलाने का आरोप लगाया है. पीड़ित का आरोप है कि उसने गेहूं काटने से इंकार किया था जिसके बाद उसके साथ मारपीट की गई और मूछें भी उखाड़ ली गईं. थाना हजरतपुर इलाके के आजमपुर गांव के रहने वाले सीताराम बाल्मीकि ने गांव के विजय सिंह, पिंकू, विक्रम सिंह और सोमपाल पर मारपीट करने, मूंछ उखाड़ने और जूते में पेशाब पिलाने के आरोप लगाए हैं।
इतना ही नहीं बीते दिन मध्यप्रदेश के धार जिले में कॉन्सटेबल अभ्यर्थियों के सीने पर जातीय पहचान के लिए एससी-एसटी लिख दिया गया था। वहीं दिल्ली के संसद मार्ग पर बहुजन समाज के तमाम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट और मोदी सरकार के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में दिए गए फैसले को लेकर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने इस एक्ट में फैसले को विचारधारा का नतीजा बताया, उन्होंने कहा कि तथाकथित मनुवादी लोग बहुजनों को समाज की मुख्यधारा में लाना नहीं चाहते हैं. इसलिए बहुजनों को हर स्तर पर प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा है। बहुजन मुद्दों पर बेबाकी से लिखने वाली दिपाली ने कहा कि मोदी सरकार समाज में मनुवादी विचारधारा को फिर से स्थापित करना चाहती है. और यह काम सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बहुजन और महिला विरोधी सरकार है उनकी सुरक्षा करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। सवाल यह है कि ऐसे भयानक हालातों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट में बदलाव करना कितना बाजिव है। क्या यह वाकई बहुजनों के खिलाफ कोई साजिश का नतीजा है कि एक तरफ कानून कमजोर कर दिया जाता है और दूसरी बहुजनों के खिलाफ जुल्म का ग्राफ तेजी से बढ़ जाता है।
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