जातिवादी भारतीय शासन-प्रशासन ने ली भानुभाई की जान!
नई दिल्ली। गुजरात में भानुभाई के आत्मदाह किए जाने के बाद बहुजन समाज में आक्रोश हैं. बहुजनों ने बीजेपी सरकार के खिलाफ हल्ला-बोल का ऐलान कर दिया. पिछले काफी वक्त से भानुभाई बामसेफ से जुड़कर काफी सक्रिय रुप से कार्य कर रहे थे। भानुभाई के अंदर मूलनिवासी बहुजन समाज का दर्द रगों में खून बन चुका था। इसी भावुकता ने उनको अंदर से झकझोर दिया था।
हालांकि भानुभाई जानते थे कि भारतीय समाज कठोर जातिवाद की स्थिति से उभर नहीं पाया है इसलिए उन्होंने अपना सरनेम भी बदल लिया था, ताकि भेदभाव वाली मानसिकता के अंदर के जातिवाद को तोड़ा जा सके। लेकिन जातिवादी मानसिकता के खिलाफ प्रतिक बनने के बावजूद भी उन्हें छोटी जाति में पैदा होने का दंश लगातार झेलना पड़ा। और आखिर में भानुभाई का रहा-शहा भरोसा भारतीय जातिवादी शासन-प्रशासन ने तोड़ दिया।
भानुभाई तो हमारे बीच से चले गए लेकिन तमाम सवाल छोड़ गए वो खुद को सभ्य समाज का दावा करने वाले घटिया समाज पर! लेकिन यह तो जाहिर है कि भानुभाई की मौत का जिम्मेदार राज्य की बीजेपी सरकार और प्रशासनिक अधिकारी ही रहे! यदि समय रहते उनकी मांग सुनी जाती तो भानुभाई हरगिज ऐसा नहीं करते! धार्मिक मुद्दों पर गला फाड़ने वाले इस जातिवादी जहर के खिलाफ क्यों नहीं अपना मुंह खोलते? क्यों कभी किसी बहुजन की हत्या कर दी जाती है तो कभी उसे मौत गले लगाने पर मजबूर कर दिया जाता है?
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Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…