स्कूल की दीवारों पर लिखी अश्लील बातों का विरोध करने पर छात्राओं पर गुंडो का हमला!
बारह-चौदह साल की लड़कियां फब्तियां कसने, स्कूल हॉस्टल की दीवारों पर गालियां और दूसरी वीभत्स अश्लील बातें लिखने का विरोध करती हैं और इसके बदले वह सब करने वाले लड़के और उनके मां-बाप इकट्ठा होकर स्कूल में घुस कर लड़कियों को बर्बरता से मारते-पीटते हैं! पैंतीस लड़कियों को अस्पताल पहुंचने की हालत में ला देने तक..!
यह किसी सामंती अपराधी मानस वाले के लिए कोई साधारण घटना हो सकती है! लेकिन क्या इस घटना की त्रासदी यहीं तक सीमित है!
भदेसपन के नाम पर गालियों यानी मौखिक बलात्कार का समर्थन या बचाव कौन करता है? लड़कियों पर फब्तियां कसने को मामूली हंसी-मज़ाक का मामला कौन मानता है? ये सब मिल कर व्यवहार में कौन-सी तस्वीर रचते हैं?
अगर कोई सामाजिक रूप से ताकतवर है, सामंती मानस में जीता है तो उसे यह त्रासदी कभी समझ नहीं आएगी…!
तो यह याद रखिएगा कि उसमें स्कूल हॉस्टल में रहने वाली सभी लड़कियां बहुजन हैं और यह तो कतई नहीं भूलिएगा कि उन लड़कियों ने फब्ती कसने और गाली लिखने वाले उन अपराधियों के बेटों को पहले पकड़ के बढ़िया से कूट दिया था, यानी जात और मर्दानगी का गुरूर तोड़ दिया था, तब वे अपराधी-जात अपने बापों के साथ हमला करने आए थे!
मैं अलग से नहीं जानना चाहता कि उन लड़कियों के खिलाफ कुछ भी करने को अपना अधिकार मानने वाले वे लड़के और उनके मां-बाप कौन हैं! बस यह जानता हूं कि नीतीश सरकार के राज को ऐसे तमाम अपराधी ‘अपना राज’ कहते हैं..!
By-Arvind Shesh
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