‘मनुवाद की छाती पर बिरसा-फूले-अंबेडकर’ महाराष्ट्र की दो वीरांगनाओं ने इस नारे को जीवंत कर दिया!
मनुवाद की छाती पर
बिरसा-फुले-अम्बेडकर…..
इस नारे को 8 अक्टूबर को जीवंत कर दिया महाराष्ट्र की अंबेडकरवादी वीरांगनाओं कांता रमेश अहीर और शीला बाई पवार ने। उन्होंने बिना किसी डर के राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर के परिसर में लगी “मानवता पर कलंक मनु” की मूर्ति की मुँह पर सरेआम कालिख़ पोती और वहीं बेख़ौफ खड़े होकर गिरफ्तारी भी दी।
मानवता पर कलंक मनु ने भारतीय समाज को पूरी तरह विकृत कर देने वाली संहिता बनाई। उसने गैर-बराबरी, भेदभाव और असमानतामूलक व्यवहार को लिपिबद्ध करते हुए दुनिया की सबसे निकृष्ट किताब मनु स्मृति लिखी जिस कारण महिलाओं और शूद्रों को सदियों से ग़ुलामी झेलनी पड़ी और आज तक झेलनी पड़ रही है । मानवता के विरोधी मनु की मूर्ति देश के केवल इसी हाईकोर्ट में लगी है जो न केवल मानवता बल्कि इस देश के संविधान के ख़िलाफ़ भी है।
राजस्थान हाईकोर्ट में वर्ष 1989 से अवैध रूप से मनु प्रतिमा लगी है, इसे हटाने के आदेश खुद कोर्ट दे चुका है, लेकिन उस पर मनुप्रेमियों ने स्टे लगवा दिया। मूर्ति के लगने के निर्णय के बाद से ही अम्बेडकरवादियों ने लगातार इसका विरोध किया है , इसी विरोध का परिणाम रहा कि ना तो इस मूर्ति का उद्घाटन हुआ और न नेमप्लेट लगी। मनु की ये मूर्ति बिना नाम की खड़ी हुई है, सवर्ण कानूनी दाँवपेंच खेल कर इस मामले को उलझाए हुए है। लेकिन अंबेडकरवादी संगठन भी बिना थके 26 सालों से इसके खिलाफ केस लड़ रहे हैं।
वर्ष 1996 में मान्यवर कांशीराम जी ने इस मूर्ति को हटाने के लिये सभा भी की थी। बाद में महाराष्ट्र के मजदूर नेता बाबा आढाव ने वर्ष 2000 और 2005 में भी मनु मूर्ति हटाने के लिए पुणे से जयपुर तक यात्राएं निकलवाई। राजस्थान के अंबेडकरवादी साथी भी लगातार इसके ख़िलाफ़ प्रयासरत रहे।
विरोध की इसी मुहिम को राष्ट्रीय पटल पर हमारी वीरांगनाओं ने ज़िंदा किया है मनु की मूर्ति को कालिख़ पोतकर। विरोध की यह गूँज पूरे देश में गूँजनी चाहिए। मनु की मूर्ति या विचारों अम्बेडकरवादी ही ख़त्म करेंगे। देश के बहुजन आंदोलन को बहुजन बेटियाँ ही आगे ले जाएंगी…..
इन वीरांगनाओं को क्रांतिकारी जयभीम…..🙏💙
-दिपाली तायड़े, सोशल एक्टीविस्ट
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