Home State Bihar & Jharkhand बहुजन हो! ज़िंदा रहते सम्मानजनक ज़िंदगी नहीं और मरने के बाद दो गज जमीन के भी लाले हैं…
Bihar & Jharkhand - Opinions - Schedules - Social - State - September 20, 2018

बहुजन हो! ज़िंदा रहते सम्मानजनक ज़िंदगी नहीं और मरने के बाद दो गज जमीन के भी लाले हैं…

बिहार के मधेपुरा जिले के केवटगामा गाँव में एक बहुजन भूमिहीन मजदूर हरिनारायण की पत्नी सहोगिया देवी की डायरिया से मौत हो गई। पहले जीते जी अच्छा इलाज न मिल सका और बाद में दो गज जमीन भी नसीब नहीं हुई।

हरिनारायण जब पत्नी की अंतिम क्रिया करने की तैयारी में लगा तो गाँव के तथाकथित ऊँची जाति के भूमिहार और राजपूत लोगों ने हरिनारायण को उसकी पत्नी का अंतिम संस्कार ऊंची जात वाले श्मशान घाट में करने देने से मना कर दिया। यही नहीं उस पर दबाव बनाया गया कि गांव की बाहरी ज़मीन पर भी वह अपनी पत्नी की अंतिम क्रिया नहीं कर सकता।

हारकर उसे अपनी पत्नी को घर के अंदर ही जलाना पड़ा। हरिनारायण और उसके बच्चे जलने के बाद बची राख को समेट कर वहीं आँसू बहाते हुए रह रहें हैं।

नीतीश कुमार ने गरीबों में भी सबसे गरीब बहुजनों को महादलित वर्ग की श्रेणी में रखा है। हरिनारायण भी महादलित है, पर ये मामला संज्ञान में आने के बाद भी आला अधिकारी से लेकर पंचायत तक किसी ने सुध नहीं ली।

ये सब देखते हुए भी तथाकथित ऊँची जात वाले अमानुषों को लगता है कि एससी-एसटी एक्ट के दुरूपयोग हो रहा है। आरक्षण ख़त्म होने चाहिए। औऱ कितनी अमानवीयता देखना चाहते हो, ये विश्वास करने के लिए कि इस दुनिया में जातिवाद से नृशंस कुछ नहीं….. कुछ भी नहीं।

-Deepaly Tayday

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