Home State Delhi-NCR क्रांति का प्रतीक चे ग्वेरा: खूबसूरत दुनिया के लिए जिंदगी और मौत से मोहब्बत करने वाला क्रांतिकारी
Delhi-NCR - International - Opinions - Social - June 14, 2019

क्रांति का प्रतीक चे ग्वेरा: खूबसूरत दुनिया के लिए जिंदगी और मौत से मोहब्बत करने वाला क्रांतिकारी

(जन्म 14 जून 1928- शहादत 9 अक्टूबर 1967)

क्रांतिकारियों की गैलेक्सी के एक चमकते सितारे का नाम अर्नेस्टो चे ग्वेरा है। एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही नसें तन जाती हैं। दिलो-दिमाग उत्तेजना से भर जाता है। हर तरह के अन्याय के खिलाफ लड़ने और न्यायपूर्ण दुनिया बनाने के ख्वाब तैरने लगते हैं। उम्र छोटी हो, लेकिन खूबसूरत हो, यह कल्पना हिलोरे मारने लगती है।

कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन यह सच है सिर्फ और सिर्फ 39 साल में शहीद हो जाने वाला एक नौजवान इतना कुछ कर गया जिसे करने के लिए सैकड़ों वर्षों की उम्र नाकाफी लगती है। वह फिदेल कास्त्रो के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर क्यूबा में क्रांति करता है, अमेरिकी कठपुतली बातिस्ता का तख्ता पलट देता है। ठीक अमेरिका (यूएसए) के सटे छोटे से देश में क्रांति की चौकी स्थापित कर देता है, जिसका भय आज भी अमेरिका को सताता रहता है।

एक ऐसा क्रांतिकारी जो आज भी दुनिया के युवाओं का प्रेरणास्रोत है। जिसका जन्म अर्जेंटीना में होता, क्रांति क्यूबा में करता है और वोलोबिया में क्रांति की तैयारी करते अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए के हाथों शहीद होता है। कोई अकेला व्यक्ति अमेरिकी साम्राज्यवाद के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया, तो उसका नाम चे ग्वेरा है। जिसे मारने के लिए अमेरिका ने अपनी सारी ताकत लगा दी। मरने के बाद भी जिसका भूत अमेरिका और उसके पिट्ठू शासकों को सताता रहता है। वे चे ग्वेरा का मारने में सफल हो गए लेकिन उसके क्रांति के सपने को नहीं मार पाए।

दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीप के आदिम लोगों का कत्लेआम कर स्पेन ने पहले इन देशों को गुलाम बना लिया। ये देश स्पेन से संघर्ष कर आजाद हो ही रहे थे कि अमेरिका (USA) ने अपने कठपुतली शासक बैठाकर इन देशों पर नियंत्रण कर लिया। दक्षिण अमेरिका के क्रांतिकारी निरंतर, स्पेन और बाद में अमेरिका के खिलाफ संघर्ष करते रहे। इन्हीं कांतिकारियों में से दो को आज पूरी दुनिया जानती है। एक का नाम फिदेल क्रास्त्रो और दूसरे का नाम चे ग्वेरा है।

जन्मजात विद्रोही। उनके पिता कहते थे कि मेरे बेटे की रगों में आयरिश विद्रोहियों का खून बहता रहता है। चे के पिता स्पेन के खिलाफ पूरे दक्षिण अमेरिका में चल रहे संघर्षों के समर्थक थे। चे को अपने देश और अपने महाद्वीप के लोगों की गरीबी बेचैन कर देती थी। होश संभालते ही उनके दिलो-दिमाग में यह प्रश्न उठता था कि आखिर प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न और कड़ी मेहनत करने वाले मेरे देश और मेरे महाद्वीप के लोग इतने गरीब, लाचार, वेबस और गुलाम क्यों हैं? क्यों और कैसे स्पेन और बाद में अमेरिका ने हमारे महाद्वीप पर कब्जा कर लिया और यहां की संपदा को लूटा।

चे ग्वेरा पेशे से डाक्टर थे। बहुत कम उम्र में उन्होंने करीब 3 हजार किताबें पढ़ डाली थीं। पाल्बो नेरूदा और जॉन किट्स उनके प्रिय कवि थे। रूयार्ड किपलिंग उनके पसंदीदा लेखकों में शामिल थे। कार्ल मार्क्स और लेनिन के साथ बुद्ध, अरस्तू और वर्ट्रेड रसेल उनके प्रिय दार्शनिक और चिंतन थे। खुद चे एक अच्छे लेखक थे। वह नियमित डायरी लिखते थे। उन्होंने पूरे लैटिन अमेरिका की अकेले अपनी मोटर साईकिल से य़ात्रा की। इस यात्रा पर आधारित उनकी मोटर साईकिल डायरी है। जो बाद में किताब के रूप में प्रकाशित हुई। जिस पर एक खूबसूरत फिल्म इसी नाम से बनी।

दक्षिण अमेरिका के कई देशों में क्रांतिकारी संघर्षों मे शामिल हुए। बाद में वे कास्त्रो के साथ क्यूबा की क्रांति (1959) के नायक बने। जिस क्रांति ने क्यूबा में अमेरिका की कठपुतली बातिस्ता की सरकार को उखाड़ फेका। क्यूबा की क्रांतिकारी सरकार में विभिन्न जिम्मेदारियों को संभालते हुए उन्होंने क्यूबी की जनता की जिंदगी में आमूल-चूल परिवर्तन करने में अहम भूमिका निभाई। क्यूबा दुनिया के लिए आदर्श देश बन गया। इस सब में चे ग्वेरा की अहम भूमिका थी।

क्यूबा में अपने कामों को पूरा करने के बाद चे लैटिन अमेरिका के अन्य देशों में क्रांति को अंजाम देने निकल पड़े। वोलोबिया में क्रांतिकारी संघर्ष करते हुए 1967 में वे 39 वर्ष की उम्र में शहीद हुए।

गोली मारने जा रहे सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि Do not shoot! I am Che Guevara and I am worth more to you alive than dead.”

लेखक- सिद्धार्थ आर, वरिष्ठ पत्रकार और लेखक व संपादक, हिंदी फॉरवर्ड प्रेस. सिद्धार्थ जी नेशनल इंडिया न्यूज को भी अपने लेखों के जरिए लगातार सेवा दे रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

Remembering Maulana Azad and his death anniversary

Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…