CM नीतीश कुमार का आरक्षण पर बयान, गुजरात में BJP की घबराहट का नजीता तो नहीं !
By- Aqil Raza
आरक्षण को लेकर हमारे देश में जगह–जगह आंदोलन होते रहे हैं. कहीं इसके समर्थन में तो कहीं इसके विरोध में। प्रदर्शनकारी अपनी मांग सरकार से मनवाने के लिए प्रोटेस्ट से लेकर आगजनी तक के हथकंड़े अपनाते हैं। आरक्षण की मांग को लेकर विरोधों का सामना कर रही सरकारों को भी अब अच्छी तरह समझ आ गया है, और शायद यही वजह है कि राजनेता चुनाव के समय इसका राग अलापने लगते हैं। फिर वो चाहे जाट समुदाय हो या फिर गुजरात का पटेल समुदाय।
सभी की अवाज चुनावी दिनों में बुलंद हो जाती है, बुलंद इसलिए भी होती है क्योंकि उनकी पैरवीं करने वाले जनप्रतिनिधि उनके द्वार पहुंचने लगते हैं। या यूं कहो कि चुनाव आने पर जनप्रतिनिधियों को उनकी याद सताने लगती है। और यही वजह है जो गुजरात में अलग- अलग समुदाय का नेतृत्व कर रहे त्रिमूर्ती कहे जाने वाले जिग्नेश मेवाणी, अल्पेश ठाकोर, और हार्दिक पटेल इन दिनों सुर्खिया बटोर रहे हैं। चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टीयां इन तीनों के समर्थन के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं.
चुनाव में आरक्षण का मुद्दा तो सबसे उपर रहता ही है. ऐसे में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी आरक्षण पर बयान दिया है। नीतीश कुमार ने प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण की मांग और तेज कर दी। प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण की मांग को लोकर नीतीश का कहना है कि चाहे मराठा हो या पटेल, they हर किसी के आरक्षण की मांग के समर्थन में हैं। साथ ही उन्होंने महिला आरक्षण का भी समर्थन करते हुए लंबित बिल को संसद से पास कराने के लिए आम राय बनाने की अपील की है।
पिछले दिनों बिहार में सरकारी नौकरियों में आउटसोर्सिंग में आरक्षण देने के बाद नीतीश ने इस दिशा में अपनी पहल अचानक तेज कर दी। जिसके सियासी मायने भी माने जा रहे हैं, और सियासी मायने इसलिए भी माने जा रहे हैं क्योंकि गुजरात में आरक्षण की मांग को लेकर पटेल समुदाय के विरोध का बीजेपी को सामना करना पड़ रहा है। और हो सकता है कि नीतीश को लगता हो कि उनका ये बयान गुजरात चुनाव में भी कुछ कारगर साबित हो सके. हलाकिं इतना तो साफ है कि अब इस तरह की बयानबाजी से गुजरात चुनाव में कुछ होने वाला नहीं है।
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